नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर ने खूब कोहराम मचाया। अन्य देशों के मुकाबले भारत में कोरोना कुछ ज्यादा ही तबाही मचाई। बड़ी संख्या में लोगों को कोरोना ने अपनी चपेट में लिया। काफी लोग अब भी अस्पतालों व घरों पर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। यह अच्छी बात है कि अब कोरोना के नए मामलों में गिरवाट आई और ठीक होने वालों का आंकड़ा बढ़ रहा है। इन सबके बीच नीति आयोग का कहना है कि कोरोना वायरस के मौजूदा स्वरूप का फिलहाल बच्चों पर कोई प्रभाव नहीं देखा गया है लेकिन वायरस के स्वरूप में बदलाव आया तो यह बच्चों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर अपनी तैयारियों को पुख्ता करने में लगी है। डॉक्टर पॉल का कहना है कि बच्चों में कोरोना मामले के लक्षण अक्सर कम ही दिखाई देते हैं या बेहद कम ही लक्षण दिखाई देते हैं। अभी तक बच्चों में संक्रमण ने गंभीर रूप नहीं लिया है। केवल दो से तीन फीसदी बच्चों को ही कोरोना के लक्षण सामने आने के बाद अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है। उनका कहना है कि सरकार इस दिशा में अपने पूरे प्रयास कर रही है। बच्चों पर कोरोना का दो तरह से असर देखा जा सकता है। इसमें से पहला है कि उनमें निमोनिया का कोई लक्षण दिखाई देता हो। पॉल ने कहा कि वैक्सीन की कॉकटेल पर विशेषज्ञ एकराय नहीं हैं। इसको लेकर दो बातें सामने आई हैं। उनका कहना कि वैक्सीन की कॉकटेल से परिणाम गलत भी सामने आ सकते हैं और ये उपयोगी भी साबित हो सकता है। दो अलग-अलग वैक्सीन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। उनकी राय में जब तक इसका कोई ऐसा हल नहीं निकलता है कि जिस पर अधिकतर विशेषज्ञ राजी हों तब तक भारत में चल रहे वैक्सीनेशन प्रोग्राम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।