श्री त्रिपुर सुन्दरी बाला चतुभुर्जी देवी मंदिर में भक्तों ने की मां ब्रह्मचारिणी कि पूजा-अर्चना

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  • शतचंडी महायज्ञ में दी आहुतियां
    गाजियाबाद।
    प्राचीन सिद्ध पीठ देवी मंदिर मे हर वर्ष कि भांति इस वर्ष भी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दूसरे दिन मंगलवार में प्रात: काल आचार्य एवं महंत व भक्तों द्वारा भव्य मां देवी का सिंगार के साथ आरती की। इसमें सैकड़ों भक्त महिलाओं एवं पुरुषों, बच्चों ने आरती में भाग लिया एवं माता को चुनरी प्रसाद चढ़ाकर मथा टेकर आशीर्वाद प्राप्त किया। पंडितों द्वारा शक्ति की उपासना शुरू की गई। देवी मंदिर के महंत गिरिशा नन्द गिरी महाराज के सानिध्य में 11 विद्वान पंडितों द्वारा शतचंडी पाठ शुरू किया गया। भक्त प्रात: काल से ही देवी मंदिर में सूर्योदय से पहले ही श्रद्धालुओं की कतार लगी। लोगों ने देवी दर्शन पूजन किया। मां ब्रह्मचारिणी दूसरे नवरात्र में मां के ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा जाता है। जो साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है और जीवन में वे जिस बात का संकल्प कर लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं। मां को शक्कर का भोग प्रिय है। आज भी देवी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लग गया। लोग मंदिर पहुंचे तो पहले से ही फूल और अगरबत्ती, कपूर, नारियल की दुकानें सजी थीं। मंदिर के संचालक महंत गिरिशा नन्द गिरी जी महाराज एवं प्रमुख आचार्य राम मनोहर अग्निहोत्री द्वारा एवं अन्य पंडितों ने मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया, अनुष्ठान किया। शाम को आरती के शतचंडी महायज्ञ का आयोजन किया गया। इसमें सभी भक्तों एवं श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। मंदिर के मीडिया प्रभारी एसआर सुथार ने बताया कि प्राचीन सिद्ध पीठ श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर में पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के सानिध्य एवं आशीर्वाद से मंदिर में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की गई एवं शतचंडी महायज्ञ में श्रीमंत सोमेश्वर गिरी महाराज जोधपुर राजस्थान एवं विजय गिरी महाराज शिव मंदिर पटेल नगर, विजय गुप्ता, योगेंद्र सिंह, हिमांशु पाराशर, समाजसेवी सुंदर भाटी, आचार्य मनीष शर्मा, हिंडन मोक्ष धाम, स्वामी रमेशानन्द गिरि महाराज आदि अनेक भक्तों ने आचार्य द्वारा मन्त्रोउच्चारण के आहुतियां दी गई। आचार्य नित्यानंद द्वारा शत चंडी पाठ आचार्य एवं दूधेश्वर वेद के विद्यार्थियों द्वारा बाबा दूधेश्वरनाथ की पूजा-अर्चना की गई।

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