कमल सेखरी
अब से पांच माह बाद तीन बड़े राज्यों में चुनाव का बिगुल बजने वाला है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ी गहमागहमी और सरगर्मियां दिखनी शुरू हो गई हैं। इनमें सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है जो केन्द्र की राजनीति का भाग्य भी तय करता है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक विधानसभा सीटें हैं और इसी राज्य में लोकसभा की सबसे अधिक 85 सीटे हैं। लिहाजा उत्तर प्रदेश में होने वाली हर राजनीतिक गतिविधि का देश की राजनीति पर एक बड़ा असर पड़ता है। हालांकि अभी पांच महीने बाकी हैं लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने अभी से अपने चुनावी अभियान शुरू कर दिए हैं। बसपा प्रमुख मायावती जो पिछले लगभग चार वर्षों से बिल्कुल ही खामोश बैठी थीं उन्होंने अपनी एक चुनावी सभा में एक नया शगुफा छोड़ दिया। अभी तक जिस तिलक, तराजू और तलवार को चार जूते मारने की बात कहती थीं अब उनके व्यवहार में इसके बीच तिलक के प्रति अचानक काफी विनम्रता आई है। इसी सप्ताह ब्राह्मणों की एक महासभा में उन्होंने एक नया नारा दे दिया कि जितना ब्राह्मण जुड़ेगा उतना हाथी बढ़ेगा। इसी तरह दक्षिण भारत से एएमआईएम के मुखिया ओवेसी अचानक उत्तर प्रदेश में कूद लगा गए और उन्होंने जानबूझकर अपना पहला कार्यक्रम रामजन्म भूमि अयोध्या में ही रखा है। वो एक राजनीतिक मुद्दा खड़ा करने के लिए रामजन्म भूमि को अयोध्या कहने को तैयार ही नहीं है वो उस महानगरी को बार-बार फैजाबाद कहकर ही पुकार रहे हैं। हालांकि कांग्रेस ने अपने अभियान में अभी कोई अधिक तीव्रता तो नहीं दिखाई है लेकिन प्रियंका गांधी ने जगह-जगह अपने दौरों में ऐसे बयान देने शुरू कर दिए हैं जिनका राजनीतिक असर आने वाले विधानसभा चुनाव में पड़ता नजर आ रहा है। किसान आंदोलन अचानक तेज हो गया है और पिछले दिनों मुजफ्फरनगर में हुई किसानों की महापंचायत में जनसभा को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने हर-हर महादेव नारे के साथ अल्लाह हू अकबर का नारा भी बार-बार वहां उपस्थित किसानों से पुरजोरता के साथ दोहराया। नए कृषि कानून संबंधी तीन बिलों को काला कानून बताने वाले राकेश टिकैत ने इस महापंचायत में कानून वापसी की बात कम कहीं और अपना प्रहार प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी को बाहरी बताकर उन्हें प्रदेश से बाहर करने बात पर ज्यादा जोर दिया। वहीं रालोद के युवा मुखिया जयंत चौधरी ने यह बात सार्वजनिक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि वो मुजफ्फरनगर में किसानों का स्वागत हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा करके करना चाहते थे लेकिन योगी सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी। इसी तरह समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अब लंबी चुप्पी तोड़कर पूरी तरह से बाहर निकल आए हैं और वो कोई न कोई बयान जारी कर राजनीतिक माहौल को गर्माने की कोशिश में लग गए हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति अगले आने वाले कुछ दिनों में क्या रंग लेगी यह तो समय बताएगा लेकिन यह तय है कि इस बार विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में करो या मरो के आधार पर ही होंगे और 2022 के पहले महीने में पहुंचने तक यूपी की राजनीतिक परिस्थितियां इतनी गर्म हो जाएंगी कि जिसकी गर्माहट हर जिले, हर शहर, हर कस्बे और हर घर तक अपनी तपिश बरपाएगी।