लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने नशे के खिलाफ कार्ययोजना बनाकर निर्णायक लड़ाई शुरू कर दी है। नशे के सौदागर वर्तमान पीढ़ी के भविष्य से खिलवाड़ न कर सकें, इसके मददेनजर ड्रग्स व जहरीली शराब के माफियाओं पर सख्ती के लिए कमर कस ली गई है। सरकार के इस अभियान का हिस्सा बनकर सभी युवा प्रदेश को नशामुक्त करने तथा सबको स्वस्थ रखने में अपना योगदान दें।
गोरखपुर में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के प्रथम स्थापना दिवस समारोह व इस उपलक्ष्य में 22 अगस्त से चल रहे युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज स्मृति सप्तदिवसीय व्याख्यानमाला के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें हर चुनौती को अवसर के रूप में लेना चाहिए। परिणाम की तात्कालिक चिंता किए बिना चुनौती से निपटने की कार्ययोजना बनाकर शुरूआत कर देनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राय: हम अथ पर ध्यान देने की बजाय इति की चिंता करने लगते हैं। अर्थात कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व ही उसके परिणाम की चिंता करने लगते हैं। कठिनाई यहीं से शुरू होती है। लक्ष्य की ओर अग्रसर होते समय कार्य की शुरूआत कैसे करनी है, इसका ध्यान आवश्यक है न कि इसके लिए चिंतित हो जाना कि परिणाम क्या होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हम भगवान श्रीकृष्ण के दिए ज्ञान कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन का अनुसरण करते हुए कार्य की अच्छी शुरूआत करेंगे तो उसकी शानदार सफलता कार्य प्रारम्भ होने के साथ ही परिलक्षित होने लगेगी। कार्य की अच्छी शुरूआत होगी तो कोई भी बाधा, कोई भी ताकत सफलता हासिल करने से नहीं रोक सकती। इसी धारणा को अंगीकार कर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने अपने कदम बढ़ाए और चुनौतियों के बावजूद सफल परिणाम एक साल के कम समय में ही दिख रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान के काफी अवसर हैं। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की स्थापना का यह भी एक प्रमुख उद्देश्य है कि शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान को आगे बढ़ाया जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी यही मंशा है कि भारत को शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में ग्लोबल नम्बर वन रैंक हासिल करनी है। सभी विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षा संस्थान शोध के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते हुए यह रैंक हासिल कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी कार्य असम्भव नहीं है, बस उसे करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए। देश व प्रदेश का शानदार कोविड प्रबंधन इसका प्रमाण है। हमारे कोविड प्रबन्धन की सर्वत्र सराहना हुई। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में जब कोरोना का पहला केस आया, तो यहां कोरोना जांच के लिए एक भी लैब नहीं थी। पहला सैंपल हमें पुणे भेजना पड़ा। लेकिन, आज उत्तर प्रदेश के पास प्रतिदिन 4 लाख कोविड टेस्ट की क्षमता है। यह अच्छी शुरूआत का अच्छा परिणाम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश 40 साल तक इंसेफेलाइटिस से त्रस्त रहा। इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश में 50 हजार बच्चों की मौत हो गई। जापान ने तो इंसेफेलाइटिस वैक्सीन वर्ष 1905-06 में ही बना ली, लेकिन इसे भारत आने में 100 साल लग गए। जबकि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में देश ने मात्र 9 माह में कोरोना की वैक्सीन बना ली। वैक्सीन की देश में 200 करोड़ डोज तथा प्रदेश में 36 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। कोरोना के संकटकाल में प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में जीवन के साथ जीविका की भी रक्षा की गई। प्रवासी कामगारों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। हर गरीब के लिए फ्री राशन, भरण-पोषण भत्ते की व्यवस्था की गई। देश में 80 करोड़ तथा प्रदेश में 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया गया। सबको मुफ्त कोरोना जांच, इलाज व वैक्सीन की सुविधा दी गई।
इस अवसर पर सभी का स्वागत करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डा. अतुल वाजपेयी ने विश्वविद्यालय की प्रगति और यहां संचालित पाठ्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय अपने कुलाधिपति, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में गोरखपुर को ज्ञान की नगरी बनाने के संकल्प को पूरा करने में जुटा है। इसी मंशा को आगे बढ़ाते हुए अगले वर्ष तक 150 एमबीबीएस सीटों के साथ यहां मेडिकल कॉलेज भी प्रारम्भ हो जाएगा। ज्ञान, अनुसंधान व रोजगार आदि के लिए विश्वविद्यालय ने सालभर में ही अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ आदान-प्रदान किया। समारोह में आभार ज्ञापन गुरु गोरक्षनाथ कॉलेज आॅफ नर्सिंग की प्रधानाचार्या डा. डीएस अजीथा ने किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न पाठ्यक्रमों व गतिविधियों में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित करते हुए उनका उत्साह भी बढ़ाया। उन्होंने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय परिसर में पौधों की देखभाल करने वाले तथा परिसर में 501 पौधे लगाने वाले नागेन्द्र पांडेय को भी सम्मानित किया।
समारोह में मुख्यमंत्री के शिक्षा सलाहकार एवं यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह, प्रदेश सरकार के फार्मा सलाहकार एवं पूर्व औषधि महानियंत्रक जीएन सिंह, राज्य आपदा प्राधिकरण के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल आरपी शाही, महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय, गोरखपुर के महापौर सीताराम जायसवाल, विधायक श्रीराम चौहान, महेन्द्रपाल सिंह, विपिन सिंह, डा. विमलेश पासवान, राजेश त्रिपाठी, विधान परिषद सदस्य डा. धर्मेन्द्र सिंह, राज्य महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष अंजू चौधरी, बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. गणेश कुमार, बीएचयू के प्रो. रामचन्द्र रेड्डी, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. प्रदीप कुमार राव उपस्थित थे।