- विमर्श के बहाने गुणवत्ता की परख का अभिनव प्रयोग है ‘कथा संवाद’ : वंदना यादव
गाजियाबाद। मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के कथा संवाद में सुनी गई कहानियों पर विमर्श के दौरान विख्यात लेखक कमलेश भारतीय ने कहा कि कहानी समाज पर क्लोज सर्किट कैमरे की तरह नजर रखने का काम करती है। कार्यक्रम अध्यक्ष भारतीय ने कहा कि हर कालखंड में कहानी के जरिए ही समाज की नब्ज टटोलने का काम होता है। उन्होंने साहित्य की वाचन परंपरा की सराहना करते हुए कहा कि आज जब साहित्यिक पत्रिकाएं बंद हो रही हैं ऐसे में ‘कथा संवाद’ जैसे मंच साहित्य के संवर्धन का काम करते हैं। अपनी कहानी ‘बस थोड़ा सा झूठ’ पर उन्होंने श्रोताओं की भरपूर सराहना बटोरी। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद चर्चित कथाकार वंदना यादव ने कहा कि आज अभिव्यक्ति के तमाम मंच हमारे सामने होने के बावजूद गुणवत्ताविहीन कहानियां थोक रूप में हमारे सामने आ रही हैं, लेकिन विमर्श के जरिए उनकी गुणवत्ता को कैसे जांचा-परखा जाता है इसका अभिनव उदाहरण ‘कथा संवाद’ है। इस अवसर पर कमलेश भारतीय के कथा संग्रह ‘नई प्रेम कहानी’ का विमोचन भी किया गया।
अंबेडकर रोड स्थित होटल रेडबरी में ‘कथा संवाद’ की शुरूआत रश्मि वर्मा की कहानी ‘फेयरवैल’ से हुई। रश्मि वर्मा ने शिक्षा संस्थान में विविध आयोजन में मध्य वर्गीय परिवारों की जेब पर पड़ने वाले होने वाले बोझ और उसे वहन न कर पाने की मानसिक पीड़ा से आहत किशोर के साहस को रेखांकित किया। परिवार के विघटन के इर्दगिर्द बुनी गई रश्मि पाठक की कहानी ‘एक अकेली औरत’ पर हुए विमर्श में शामिल वंदना यादव ने कहा कि दो कथाओं के समावेश ने कहानी को जटिल बना दिया है। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने कहा कि ‘कथा संवाद’ यूं तो नवागंतुकों की कार्यशाला है लेकिन लेखक को रचनाधर्मिता के साथ स्वयं भी संपादकीय दायित्व का निर्वहन करना चाहिए। नवांकुरों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि कहानी से जितना खेलोगे उतना ही कहानी आगे जाएगी। रीता ‘अदा’ की कहानी ‘एक बार फिर’ पर टिप्पणी करते हुए आलोक यात्री ने कहा कि यह रचना कहानी और लघुकथा के मध्य खड़ी है। जिसमें विस्तार की पूरी संभावना मौजूद है। साथ ही उन्होंने कथा के शीर्षक में बदलाव का भी सुझाव दिया।
फाउंडेशन अध्यक्ष शिवराज सिंह की कहानी ‘सारा जहान’ के प्लॉट पर लंबा विमर्श हुआ। कथाकार रवि पाराशर ने कहा कि कथानक में उपन्यासिक तत्व मौजूद हैं, लिहाजा इसे विस्तार दिया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि इस कथानक का विन्यास मीडिया में प्रचलित शब्द ‘स्टेकैटो लीड’ की तरह ही आड़ा-टेढ़ा होना चाहिए। रश्मि वर्मा ने मां-बेटी के इर्दगिर्द पेंडुलम बने एक मर्द की अंतरंगता की चेष्टा पर आधारित शिवराज सिंह के कथानक को स्त्री स्मिता से खिलवाड़ की कोशिश बताते हुए कहा कि यह सही है कि यह कथानक अभी प्लॉट के रूप में हमारे सामने आया है, जिसमें भटकाव की संभावना अधिक है। कथाकार सुभाष अखिल ने कहा कि इस संवेदनशील विषय पर शिवराज सिंह को संयत होकर कलम चलाने की जरूरत है। फेमेनिस्ट युवती को केंद्र में रखकर लिखी गई मंजु ‘मन’ की कहानी ‘पिघलती आईसक्रीम’ पर चर्चा करते हुए वंदना यादव ने कहा कि कहानी का अंत इस बात की गवाही देता है कि लेखिका कहानी समाप्त करने की जल्दी में है। जबकि कहानी अभी और विस्तार मांगती? है। रवि पाराशर की कहानी ‘विमोचन’, रिंकल शर्मा की कहानी ‘बत्तो बुआ’ एवं सुभाष चंदर की मौजूदा दौर में निरंतर चर्चा का केंद्र बनी हुई कहानी ‘यासीन कमीना मर गया’ को एक सुर से परफेक्ट कहानी बताया गया।
सिनीवाली ने मुख्य अतिथि वंदना यादव की कहानी ‘कर्फ्यू’ को विभिन्न आयामों को साथ लेकर चलने वाली सशक्त रचना बताया। सिनीवाली ने कहा कि ‘कर्फ्यू’ में वंदना यादव ने घाटी के निवासियों खासकर मां, बेटी, पत्नी की रोजमर्रा की जिÞंदगी की विवशताओं को सलीके से रेखांकित किया है। कार्यक्रम संयोजक आलोक यात्री ने कहा कि संपूर्ण कहानी में पाठक स्वयं को कर्फ्यू के बीच खड़ा पाता है।? उन्होंने कहा कि ‘कर्फ्यू’ इसलिए भी बेहतर है क्योंकि संपूर्ण कहानी में लेखिका पाठक की अंगुली पकड़कर चलती है, जो बीच में कहीं नहीं छूटती। कार्यक्रम का संचालन रिंकल शर्मा ने किया। इस अवसर पर अतुल सिन्हा, विपिन जैन, जया रावत, वागीश शर्मा, अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव, तेजवीर सिंह, अंजलि पाल, नूतन यादव, अनिमेष शर्मा, राजेश कुमार, राष्ट्रवर्धन अरोड़ा, अरुण कुमार यादव, नीलम भारतीय, दिनेश दत्त पाठक, रश्मि भारतीय, भारत भूषण बरारा, ओंकार सिंह, टेकचंद, सोनम यादव, तनु, राममूर्ति वर्मा, सौरभ कुमार, पत्रकार सुशील शर्मा, शकील अहमद व अमरेंद्र राय, हंस प्रकाशन के स्वामी हरेंद्र तिवारी सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।