नहीं रहा हिन्दी का अद्भुत हस्ताक्षर,पत्रकार डॉ. वैदिक का निधन

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गाजियाबाद। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक अब हमारे बीच नहीं रहे। आज सुबह उन्होंने अपने निवास गुरुग्राम में अन्तिम सांस ली। दिवंगत डॉ. वैदिक हिन्दी जगत के एक जाने माने हस्ताक्षर थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन न केवल हिन्दी भाषा को समर्पित किया बल्कि पूरा जीवन हिन्दी भाषा के लिए आंदोलन करते रहे। मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मे डॉ. वैदिक प्रारम्भ से ही हिन्दी पत्रकारिता से जुड़े रहे। इंदौर से ही प्रकाशित दैनिक भास्कर के सम्पादक रहने के बाद डॉ. वैदिक ने दिल्ली से प्रकाशित नव भारत टाइम्स का सम्पादन भी किया। मशहूर न्यूज एजेंसी पीटीआई कि हिन्दी सेवा भाषा के साथ भी सम्पादक के पद पर जुड़े रहे। पत्रकारिता और राजनीति में साथ-साथ चलते हुए डॉ वैदिक ने हिन्दी भाषा के प्रति अपने समर्पण को बराबर का स्थान दिया और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई, नरसिम्हा राव तथा कई बड़े केन्द्रीय मंत्रीयों के साथ अपने मधुर संबंधों का पुरजोर उपयोग हिन्दी भाषा के उत्थान के लिए किया। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर डॉ. वैदिक ने हिन्दी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए कई आन्दोलन भी किए। हालांकि डॉ. वैदिक की शिक्षा का एक बड़ा भाग लंदन में अंग्रेजी भाषा से जुड़ा रहा और एमए अंग्रेजी में उत्तीर्ण करने के बावजूद भी डॉ. वैदिक का मन स्नेह और प्यार हिन्दी भाषा से ही जुड़ा रहा। डॉ. वेद प्रताप वैदिक के हिन्दी के प्रति इस मोह में उनकी पत्नी डॉ वेदवती वैदिक एक प्रेरणा बनकर जुड़ी रहीं। डॉ. स्वर्गीय वेदवती दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग से जुड़ी रहीं और तीन दशक से भी अधिक समय तक हिन्दी की शिक्षा देती रहीं। स्वर्गीय डा. वैदिक लेखन में दक्षता के साथ-साथ बोलने की दक्षता में भी एक अद्भभुत स्थान रखते थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई तो अक्सर यह भी कहते थे कि डॉ. वेद प्रताप की कलम जीभा पर सरस्वती जी का वास है। छोटे कद के इस बड़े व्यक्तित्व का सम्पूर्ण जीवन एक अद्भभुत,अनुठी कथा है। ईश्वर इस दिवंगत पुन्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे।


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