नई दिल्ली। सावन के महीने में भगवान शिव का पूजन किया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार शनि देव स्वयं भगवान शिव के आराधक हैं। इसलिए सावन के शनिवार को शंकर जी का पूजन करने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं सावन के शनिवार को किए जाने वाले उपाय….
सावन के शनिवार के दिन शंकर जी के मंदिर में सरसों के तेल दीपक जला कर शनि चालीसा का पाठ करने से शनि की महादशा से मुक्ति मिलती है।
सावन माह में प्रत्येक शनिवार को शंकर जी के मंदिर में रुद्राक्ष की माला से शनि देव के मंत्र का जाप करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
शनि की साढ़े साती और ढैय्या से पीड़ित लोगों को सावन के शनिवार को शिवलिंग पर जल और काला तिल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
हनुमान जी को भी रुद्रावतार माना जाता है इनके पूजन और शनिवार को हनुमान जी को चोला चढ़ाने से शनिदेव के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
सावन के शनिवार को काला या गहरे नीले रंग का वस्त्र पहन कर शंकर जी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से शनि की कुदृष्टि का प्रभाव नहीं पड़ता है।
सावन के शनिवार को गरीब व्यक्ति को भोजन कराने और कपड़े का दान करने से शनि की महादशा से मुक्ति मिलती है।
सावन के शनिवार को काला कपड़ा, काला तिल, लोहा या सरसों के तेल का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।