‘माननीयों के साथ ही अफसरों के खिलाफ मामलों की हो शीघ्र सुनवाई, स्थापित किए जाएं विशेष न्यायालय’

Share on

गाजियाबाद। शीतकालीन सत्र के दौरान विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक, दिनेश कुमार गोयल ने सदन के समक्ष नियम-110 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 के आदेश द्वारा सरकार को निर्देशित किया था कि सांसदों/विधायकों से जुड़े आपराधिक, भ्रष्टाचार व अन्य मामलों से सम्बन्धित वादो को शीघ्र सुनवाई करते हुए उनके निस्तारण हेतु विशेष न्यायालयों की स्थापना की जाए। प्रशासनिक अधिकारियों के ऊपर लम्बित ऐसे मामलों के वाद के शीघ्र निस्तारण हेतु कोई सुनिश्चित व्यवस्था/दिशा-निर्देश न होने के कारण इस संवर्गों के प्रकरणों का सही से निस्तारण नहीं हो पा रहा है। वर्तमान समय में कई ऐसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हैं जो अपराध, भ्रष्टचार से लेकर महिला उत्पीड़न तक के मामलों में लिप्त पाये गये या आरोपित किये गये। ऐसे अधिकारियों के विरूद्ध केवल जांच की कार्यवाही की जाती रही कई लोगों पर तो जांचोपरान्त किसी प्रकार की कार्यवाही भी न हो पायी और जब कार्यवाही की स्थिति बनी तो वे या तो सेवानिवृत्त हो गये या ऊंची पहुंच के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जबकि सांसद और विधायकों पर कानूनी कार्यवाही उनकी सदन की सदस्यता समाप्त होने के बाद भी उनके विरूद्ध की गई। राजनीति में अपराधीकरण और भ्रष्टाचार को रोकने सम्बन्धित कई प्रकार के वैैधानिक उपाये किए गये हैं किन्तु प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध ऐसे एक भी उपाये नहीं खोजे गये कि उनके सेवाकाल में ही उनके विरूद्ध कानूनी कार्यवाही हो सके। अत: लोकमहत्व के इस सुनिश्चित विषय पर सांसदों-विधायकों की ही भॉति प्रशासनिक अधिकारियों पर जारी मामलों को भी विशेष वरियता देते हुए समयबद्ध कानूनी कार्यवाही किये जाने हेतु एक सुनिश्चित व्यवस्था बनायी जाए इस पर चर्चा/वक्तव्य की मांग की गयी।


Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *