महोत्सव से देश की संस्कृति, शिल्प व व्यंजनों की बढ़ती है पहचान: दुर्गा शंकर

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने 30वें ताज महोत्सव का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन करते हुए कहा कि ऐसा महोत्सव होने से देश की कला संस्कृति शिल्प तथा व्यंजन विदेशों तक पहुंचते हैं साथ ही पर्यटन से अत्यधिक बढ़ावा मिलता है, जिससे हम सभी का आर्थिक उन्नयन होगा तो देश और प्रदेश का उन्नयन होगा।
उन्होंने कहा कि आज काफी समय के बाद ताज महोत्सव के मंच पर आकर मुझे जैसे लगा कि घर की वापसी हो रही है। उन्होंने कहा कि जब मैं आगरा का जिला अधिकारी था तो आपको याद होगा की ग्रीन आगरा-क्लीन आगरा का मूवमेंट शुरू किया था। ताजमहल के चारों तरफ सारे के सारे भवन बिल्कुल ताजमहल के रंग में रंग गए थे। आपको याद होगा यहां पर कोई भी गाड़ियों के आने जाने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने कहा कि ताज महोत्सव सन 1992 से शुरू किया गया था, जब मैं 1996 में आगरा आया तो मुझे लगा कि यह एक ऐसा स्थान है, जहां से हम अपने देश के कला को, शिल्प को, संस्कृति को न केवल देश और विदेशों तक बहुत तेजी से पहुंचा सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए ताज महोत्सव के लिए तिथियां निर्धारित कर दी गई थी, ताकि हमारे देश के कोने-कोने से शिल्पकार यहां आए और आकर अपने शिल्प कला का प्रदर्शन करें, लोग यहां से खरीदें और उनके साथ सीधे सीधे जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि आज हमारा पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आजादी के 75 साल पूरे होने के लिए पूरा देश श्रद्धा सुमन के साथ एक उत्सव मना रहा है।
उन्होंने कहा कि यहां का जितने सारे स्मारक है पिछले साल एक वैश्विक महामारी पूरे दुनिया में फैली थी, जो लोगों के जीवन को तबाह कर दिया। उसके पहले 2019-20 में जो पूरे देश भर के स्मारक थे, उसमें लगभग 04 करोड़ से ज्यादा लोगों के टिकट लेकर एंट्री हुई थी और आपको जान करके यह आश्चर्य होगा कि उसमें से 10.5 प्रतिशत यानी करीब 46 से 47 लाख लोग केवल ताजमहल में आये थे।
उन्होंने कहा कि यहां पर जो कार्यक्रम हो रहे हैं वह टेक्नोलॉजी की वजह से पूरी दुनिया देख रही है और आने वाले समय में टेक्नोलॉजी का और तेजी से विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब कुंभ का मेला होता है, कुंभ मेला में पूरे हिंदुस्तान के लोग करोड़ों की संख्या में पहुंच जाते हैं, क्योंकि हमारी यह प्रकृति है नई चीजों को सीखने की, एक नई चीज को समझने की, एक नया स्थान को देखने की। हम देखना चाहते हैं वन्य जीव हम वहां के प्रकृति को देखना चाहते हैं समुंद्र को देखना चाहते हैं नदियों को देखना चाहते हैं वहां की संस्कृति और कला को देखना चाहते हैं शिल्प को देखना चाहते हैं यह हमारी मानव प्रकृति है।
उन्होंने कहा कि आओ आगरा और ऐसा कुछ देखो जो और कहीं नहीं देख सकते हो, आओ आगरा और कुछ ऐसा अनुभव करो जो पहले अनुभव नहीं हुआ हो और उस अनुभव के साथ यहां के लोगों को रोजगार मिले, यहां के लोगों को मौका मिले, आने वाले समय को और आगे बढ़ाएं क्योंकि जब आपका आर्थिक उन्नयन होगा तो प्रदेश का व देश का सबका उन्नयन होगा।


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