सद्भाव,भाईचारा, नैतिकता की प्रतिमूर्ति थे डा.कलाम: यादव

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  • पुण्यतिथि पर भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डा.एपीजे अब्दुल कलाम को किए श्रद्धासुमन अर्पित
  • डा.एपीजे अब्दुल कलाम पुस्तकालय पर किया गया कार्यक्रम का आयोजन
    गाजियाबाद।
    भारत रत्न, पूर्व राष्ट्रपति, मिसाइल मैन के नाम से प्रख्यात, विलक्षण प्रतिभा के धनी डा. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि का डा. एपीजे अब्दुल कलाम पुस्तकालय ईदगाह रोड पसोंडा के प्रांगण में आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षक नूर हसन ने व आयोजन फौजुद्दीन ने व संचालन मोहसिन राना ने किया। लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष शिक्षाविद राम दुलार मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल रहे। महिला उत्थान संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिन्दू राय, सपा नेता माजिद ठाकरान, यासीन मुखिया, हाजी नूर हसन, मौलाना मोहम्मद आबिद ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया। कार्यक्रम में गणमान्य नागरिकों, छात्रों, नवजवानों और विद्वानों ने डा. एपीजे अब्दुल कलाम के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया तथा उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से शिक्षा लेकर उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
    पुण्यतिथि कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए समाजवादी चिन्तक राम दुलार यादव ने कहा कि आर्थिक विपन्नता में समाचार वितरित कर कठिन परिश्रम कर विपरीत परिस्थितियों में इंजीनियर, वैज्ञानिक, मिसाइल मैन, भारत के महान लोकतंत्र के 11 वें राष्ट्रपति के पद को सुशोभित करना, डा. एपीजे अब्दुल कलाम की प्रतिभा, ईमानदारी, कार्य के प्रति समर्पण भाव और लगन का परिणाम रहा, राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने उदाहरण प्रस्तुत किया, जो अनुकरणीय और बेमिसाल है, रामेश्वरम से आये अपने मेहमानों को निजी बैंक से सारे खर्च का भुगतान करना जबकि वह सारा खर्च भारत सरकार वहन कर सकती थी, उनके बड़प्पन का जीता-जागता उदहारण है, वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे तथा युवाओं से अथक परिश्रम, अनुशासन की अपेक्षा रखते थे, उन्होंने बच्चो को सम्बोधित करते हुए अपने अनमोल विचार व्यक्त किये है, उनका कहना है कि सपने वह नहीं जो तुम सोते हुए देखते हो, सपने वे है जो तुम्हे सोने न दें, यदि सूरज की तरह चमकना चाहते हो, तो सूरज की तरह जलना सीखो, वह सद्भाव, भाईचारा, नैतिकता और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने कहा कि 27 जुलाई 2015 को भी वह छात्रों को सम्बोधित करते हुए अन्तिम यात्रा पर गए। हमें गर्व है कि हम उन्हें स्मरण कर रहे हैं, देश में आज अभाव है उनके जैसे व्यक्तित्व का, देश वासियों को कलाम साहब की तरह देश, समाज, व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करना चाहिए, प्रेम, सहयोग, समर्पण, सम्मान की भावना को विकसित करना चाहिए।
    कार्यक्रम में प्रमुख रूप से आफताब चौधरी, वकील चौधरी, धानु चौधरी, मोहम्मद रिहान, रोहन जाटव, मोहित पांडेय, अमन चौधरी, जतिन जाटव, निखिल जाटव, सुमित जाटव, सोयब चौधरी, साहिल चौधरी, आर्यन जाटव, निशांत जाटव, सारिक, आस मोहम्मद, साबिर चौधरी, इमरान मलिक, शेरदीन मलिक, जयसुद्दीन, नूर हसन, नदीम, इलियास प्रधान, फिरोज प्रधान, वसीम, उम्मेद चौधरी, हाजी कासिम, यासीन मुखिया, मौलाना मोहम्मद आबिद आदि मौजूद रहे।

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