पीएम मोदी ने दिल्ली में किया विश्व नवकार महामंत्र दिवस पर वन वर्ल्ड वन चैण्ट कार्यक्रम का उद्घाटन

- मुख्यमंत्री योगी लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम मेंं हुए सम्मिलित
- नवकार महामंत्र सिर्फ मंत्र नहीं, यह हमारी आस्था का केन्द्र, हमारे जीवन का मूल स्वर : प्रधानमंत्री
- जैन धर्म का साहित्य भारत के बौद्धिक वैभव की रीढ़, केन्द्र सरकार ने प्राकृत और पालि को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में विश्व नवकार महामंत्र दिवस पर वन वर्ल्ड वन चैण्ट कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां संगीत नाटक अकादमी में आयोजित विश्व नवकार महामंत्र दिवस के कार्यक्रम मेंं सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में भगवान महावीर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने भगवान महावीर जयन्ती पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नवकार महामंत्र सिर्फ मंत्र नहीं, यह हमारी आस्था का केन्द्र और हमारे जीवन का मूल स्वर है। इसका महत्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है। यह स्वयं से लेकर समाज तक सभी को राह दिखाता है। इस मंत्र का प्रत्येक पद, प्रत्येक अक्षर अपने आप में एक मंत्र है। हम सभी नवकार मंत्र बोलते हैं, तो पंच परमेष्ठी को नमन करते हैं। नवकार महामंत्र पंच परमेष्ठी की वंदना के साथ ही सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चरित्र है। सबसे ऊपर मोक्ष की ओर ले जाने वाला मार्ग है।
नवकार मंत्र हमें याद दिलाता कि ज्ञान और कर्म ही जीवन की दिशा है
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मंत्र हमें याद दिलाता है कि ज्ञान और कर्म ही जीवन की दिशा है, गुरु ही प्रकाश है, मार्ग वही है जो भीतर से निकलता है। नवकार महामंत्र कहता है कि स्वयं पर विश्वास करो, स्वयं की यात्रा शुरू करो, दुश्मन बाहर नहीं, दुश्मन भीतर है। नकारात्मक सोच, अविश्वास, वैमनस्य, स्वार्थ ही वह शत्रु है, जिन्हें जीतना ही असली विजय है। जैन धर्म हमें बाहरी दुनिया ही नहीं, खुद को जीतने की प्रेरणा देता है। जब हम खुद को जीतते हैं, तब अरिहन्त बनते हैं। नवकार महामंत्र एक ऐसा मार्ग है, जो इंसान को भीतर से शुद्ध करता है। एक इंसान को सौहार्द की राह दिखाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नवकार महामंत्र सही मायने में मानव ध्यान साधना और आत्म शुद्धि का मंत्र है। नवकार महामंत्र विकसित भारत के विजन से जुड़ा हुआ है। विकसित भारत अर्थात विकास भी और विरासत भी। एक ऐसा भारत जो रुकेगा नहीं, ऐसा भारत जो थमेगा नहीं, जो ऊंचाई छुएगा लेकिन अपनी जड़ों से नहीं कटेगा। विकसित भारत अपनी संस्कृति पर गौरव की अनुभूति करेगा। इसलिए हम अपने तीर्थंकरों की शिक्षाओं को सहेजते हैं।
जैन धर्म का साहित्य भारत के बौद्धिक वैभव की रीढ़ है
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैन धर्म का साहित्य भारत के बौद्धिक वैभव की रीढ़ है। इस ज्ञान को समझना हमारा कर्तव्य है। इसलिए केन्द्र सरकार द्वारा प्राकृत और पालि को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया गया। अब जैन साहित्य पर रिसर्च करना संभव होगा। केन्द्र सरकार ज्ञान भारतम् मिशन शुरू करने जा रही है। इस वर्ष के बजट में इसकी घोषणा की गई है। देश में करोड़ों पाण्डुलिपियों का सर्वे होगा। प्राचीन धरोहरों को डिजिटल करके प्राचीनता को प्राथमिकता से जोड़ा जाएगा।
हमारी संस्कृति में 9 का विशेष महत्व है, 9 संकल्पों से हमें नई ऊर्जा मिलेगी
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति में 9 का विशेष महत्व है। जैन धर्म में नवकार महामंत्र, 9 तत्व, 9 पुण्य और अन्य परम्पराओं में 9 निधि, 9 द्वार, 9 ग्रह, 9 दुर्गा, नवधा भक्ति की संकल्पना देखने को मिलती है। आज विश्व भर में एक साथ नवकार महामंत्र का जाप किया जा रहा है। आज जहां भी लोग बैठे हैं, वह नव संकल्प लेकर जाएं। पहला संकल्प पानी बचाने का संकल्प, दूसरा संकल्प एक पेड़ मां के नाम, तीसरा संकल्प स्वच्छता का मिशन, चौथा संकल्प वोकल फार लोकल, पांचवा संकल्प देश दर्शन, छठा संकल्प नेचुरल फार्मिंग को अपनाना, सातवां संकल्प हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना, आठवां संकल्प योग और खेल को जीवन में लाना, नवां संकल्प गरीबों की सहायता का संकल्प है। इन 9 संकल्पों से हमें नई ऊर्जा मिलेगी। हमारी नई पीढ़ी को एक नई दिशा मिलेगी और हमारे समाज में शांति, सद्भाव और करुणा बढ़ेगी।
नवकार महामंत्र व्यवहारिक जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि नवकार महामंत्र व्यवहारिक जीवन में हम सभी के लिए सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। इसकी एक सरल व्याख्या प्रधानमंत्री ने 09 संकल्पों के रूप में हम सभी को दी है। प्रधानमंत्री जी द्वारा दिए गए नव संकल्प वही हैं, जो 24 तीर्थंकरों ने लोक कल्याण तथा जीव मात्र के कल्याण के लिए अपने उपदेशों में दिये हैं। यह हम सभी का संकल्प बनना चाहिए। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैन तीर्थंकरों की महत्वपूर्ण भूमि है। भगवान ऋषभदेव अयोध्या के पहले राजा थे। अयोध्या में पांच तीर्थंकरों तथा काशी में चार तीर्थंकरों ने जन्म लिया था। यहीं से उन्होंने मनुष्य की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया। जैन धर्म दुनिया के प्राचीनतम धर्मों में से एक है। इसकी हजारों वर्ष पुरानी परम्परा है। जब दुनिया के सामने कुछ भी नहीं था, केवल अन्धकार था, उस समय लोकमंगल की कामना से हमें तीर्थकरों ने ज्ञान का मार्ग दिखाया। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य के जीवन में तीन प्रकार के दु:ख-आधिदैविक, आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक दु:ख पाए जाते हैं। आधिदैविक दु:ख, जिन्हें हम आपदा या दैवीय प्रकोप से उत्पन्न दु:ख कह सकते हैं। आधिभौतिक दु:ख, जिसे मानव या किसी जीव के द्वारा उत्पन्न किया गया हो। आज इसे आतंकवाद या किसी हिंसक जीव के द्वारा दिए गए कष्ट के रूप में समझ सकते हैं। आध्यात्मिक दु:ख शारीरिक और मानसिक व्याधि है। नवकार महामंत्र सभी प्रकार के दु:खों से मुक्ति का एक सर्वश्रेष्ठ माध्यम माना गया है। नवकार महामंत्र को हम सभी अंगीकार करते हैं। यह महामंत्र णमो अरिहंताणं से प्रारम्भ होकर आचार्य, उपाध्याय एवं सिद्धों की परम्परा को लेकर आगे बढ़ा है। इसमें व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कोई स्थान नहीं है।
जैन इण्टरनेशनल ट्रेड आर्र्र्गेनाइजेशन ने पूरी दुनिया में एक ही दिन में किया कार्यक्रम
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैन इण्टरनेशनल ट्रेड आर्र्र्गेनाइजेशन (जीतो) ने इस कार्यक्रम को पूरी दुनिया में एक दिन में आयोजित करने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री ने इस आयोजन की शुरूआत की, जिसे पूरी दुनिया में लाइव प्रसारित किया गया। इतने बड़े पैमाने पर लोगों का एक जगह पर एकत्र होकर नवकार महामंत्र के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना अद्भुत है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नवकार महामंत्र आत्म शुद्धि का माध्यम है। व्यक्ति जितना ही अन्त:करण से शुद्ध होगा, उसकी आवाज में उतनी ही ताकत होगी। साधना की सिद्धि की पराकाष्ठा पर पहुंचा हुआ कोई भी साधक, जब अपनी बात कहता है, तो उसके अंत:करण के भाव उसकी ताकत का एहसास करा देते हैं। यही कारण है कि हजारों वर्षों की विरासत के साथ जुड़ते हुए नवकार मंत्र आज भी हम सभी के लिए एक नई प्रेरणा बना हुआ है। मुख्यमंत्री योगी ने विश्वास व्यक्त किया कि नवकार महामंत्र को प्रधानमंत्री के नौ संकल्पों के साथ जोड़ते हुए सभी लोग अपने जीवन में तीर्थंकरों के उपदेशों को अंगीकार करने का कार्य करेंगे। इस अवसर पर विधान परिषद सदस्य महेन्द्र सिंह सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।