हाई-टेक टाउनशिप नीति से विकास में लगेंगे पंख, कार्य क्षेत्र संशोधन को हरी झंडी

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लखनऊ। मंत्रिपरिषद ने हाई-टेक टाउनशिप नीति के अन्तर्गत मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के कार्य क्षेत्र में संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। नीति के अन्तर्गत उच्च स्तरीय समिति की दिनांक 13 अगस्त, 2019 को सम्पन्न बैठक में लिए गए निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु सम्बन्धिी विकास प्राधिकरणों से प्राप्त आख्याओं के परिशीलन, सम्बन्धित विकासकर्ताओं तथा क्रेडाई, उत्तर प्रदेश के साथ हुई बैठकों में हुए विचार-विमर्श एवं फीडबैक के आधार पर अनेक होमबायर्स/निवेशकर्तार्ओं के हितों के संरक्षण तथा व्यापक जनहित में हाई-टेक टाउनशिप परियोजनाओं को पूर्ण किए जाने के उद्देश्य से उच्च स्तरीय समिति के कार्यक्षेत्र में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया गया है। हाई-टेक टाउनशिप की संशोधित नीति के अन्तर्गत वर्तमान में क्रियाशील हाई-टेक टाउनशिप परियोजनाओं के आकार को सम्बन्धित विकास प्राधिकरण के स्तर से परीक्षण कराते हुए हाई-टेक टाउनशिप हेतु निर्धारित न्यूनतम सीमा 1500 एकड़ से यथावश्यकता कम किए जाने हेतु उच्च स्तरीय समिति को अधिकृत किए जाने का निर्णय लिया है। विकासकर्ता द्वारा हाई-टेक टाउनशिप परियोजना की संशोधित/पुनरीक्षित डीपीआर शासनादेश निर्गत होने के तीन माह के भीतर प्रस्तुत की जाएगी।  परियोजनाओं के पूर्ण करने हेतु यदि ऐसी भूमि, जो योजना के क्षेत्र के बाहर स्थित हो और विकासकर्ता के स्वामित्व में हो, किन्तु उक्त भूमि योजना की निरन्तरता में हो, को इस शर्त के साथ पुनरीक्षित परियोजना की डीपीआर में सम्मिलित किए जाने पर विचार किया जा सकता है कि ऐसी भूमि का क्षेत्रफल पुनरीक्षित परियोजना के क्षेत्रफल से 10 प्रतिशत से अधिक न हो। हाई-टेक टाउनशिप नीति की व्यवस्थानुसार उच्च स्तरीय समिति को चूंकि परियोजना अवधि में 10 वर्ष से अधिक विस्तार अनुमन्य किए जाने का अधिकार नहीं है, अत: ऐसी परियोजनाओं, जिनकी अवधि शेष नहीं है, उनको पूर्ण किए जाने हेतु केस-टू-केस आधार पर 80 हजार रुपए प्रति एकड़ (अविकसित क्षेत्रफल पर) की दर के समय विस्तार शुल्क आरोपित करते हुए केवल 05 वर्ष की समयवृद्धि प्रदान किए जाने के लिए उच्च स्तरीय समिति को अधिकृत किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया गया है। विकासकर्ता द्वारा समय विस्तार शुल्क का भुगतान संशोधित/पुनरीक्षित डीपीआर की स्वीकृति के समय किया जाएगा। परियोजनाओं को पूर्ण करने में यदि न्यायालय के स्थगनादेश अथवा नियामक/शासकीय अभिकरण की कार्यवाही के फलस्वरूप विलम्ब हुआ हो, तो ऐसी अवधि को शून्य (जीरो पीरियड) माना जाएगा। किसी अभिकरण स्तर पर हुए विलम्ब अथवा शिथिलता के कारण परियोजना के लम्बित होने की स्थिति में सम्बन्धित अभिकरण के उत्तरदायी कार्मिकों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। परियोजना का प्रत्येक चरण भौतिक एवं सामाजिक अवस्थापना सुविधाओं के प्राविधान की दृष्टि से सेल्फ कन्टेन्ड होगा। प्रत्येक चरण का डिटेल्ड ले-आउट प्लान तभी स्वीकृत किया जाएगा, जब मूलभूत सुविधाओं और विशेषकर बिजलीघर तथा एसटीपी के प्रस्ताव विकासकर्ता के स्वामित्व की भूमि पर हों। परियोजना के अन्य विकास कार्यों की प्रगति के अनुपात में मूलभूत सुविधाओं का विकास/निर्माण किया जाएगा। निर्णय के अनुसार भूमि के जुटाव में आ रही समस्याओं एवं प्रक्रियागत बाधाओं को दूर किए जाने हेतु राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण कर उपलब्ध कराए जाने सम्बन्धी समस्त प्राविधानों को अवक्रमित करते हुए हाई-टेक टाउनशिप परियोजना को पूर्ण किए जाने हेतु आवश्यक भूमि का जुटाव स्वयं विकासकर्ता के स्तर से किया जाएगा। शासकीय अभिकरण/राज्य सरकार द्वारा टाउनशिप के विकास हेतु भूमि अर्जित कर उपलब्ध नहीं करायी जाएगी। हाई-टेक टाउनशिप परियोजना के अन्तर्गत अनधिकृत निर्माण के नियंत्रण/हटाने के लिए प्राधिकरण एवं जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। इस निर्णय के क्रम में हाई-टेक टाउनशिप परियोजनाओं के सम्बन्ध में उत्पन्न होने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का निराकरण सुनिश्चित कराने हेतु निर्णय लेने/मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए विभागीय मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है। 


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