विश्व निमोनिया दिवस: न करें लापरवाही, डाक्टर से परामर्श से ही लें दवा : डा. संतराम

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गाजियाबाद। हर वर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य निमोनिया के लक्षण, बचाव और उपचार के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। जिला एमएमजी चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजीशियन डा. संतराम वर्मा का कहना है कि कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते बच्चों और बुजुर्गों को जल्दी से अपनी जद में लेने वाला निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया व पैरासाइट्स से फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है। बदलते मौसम में निमोनिया का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। खासकर दिल्ली- एनसीआर में बदलते मौसम के साथ प्रदूषण का बढ़ता स्तर इसे ज्यादा खतरनाक बना देता है। फेफड़ों में संक्रमण के चलते सूजन आ जाती है, जिससे उनके काम करने की क्षमता प्रभावित होती है और प्रभावित को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, कई बार निमोनिया में लापरवाही जानलेवा साबित होती है।
डा. वर्मा बताते हैं निमोनिया की शुरूआत सामान्यत: जुकाम- खांसी से ही होती है। फेफड़ों पर संक्रमण बढ़ने के साथ ही सांस फूलने लगती है। संक्रमण ज्यादा बढ़ने से फेफड़ों में पानी या फिर पस भर जाता है, लापरवाही करने पर यह स्थिति जानलेवा हो सकती है। इसलिए कहा जाता है कि बीमार होने पर हमेशा चिकित्सकीय परामर्श से ही दवा लें। कई बार रोगी खुद मेडिकल स्टोर से लेकर दवा खाते रहते हैं और स्थिति बिगड़ने पर चिकित्सक के पास जाते हैं, ऐसा करना गलत है। उनका कहना है कि निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण आम बुखार या फ्लू जैसे ही होते हैं लेकिन यह बड़ी जल्दी से गंभीर रूप लेने लगते हैं। मधुमेह के रोगियों को निमोनिया को लेकर में खासतौर पर सचेत रहने की सलाह दी जाती है।
निमोनिया के लक्षण

  • फ्लू के लक्षण आना, सर्दी जुकाम।
  • अत्यंत कमजोरी महसूस होना
  • उल्टी आना या फिर ऐसा लगना
  • ब्लड प्रेशर कम होना
  • सांस लेने में तकलीफ होना
    निमोनिया के कारण
  • सर्दी लगना, प्रदूषण, धूम्रपान
  • फेफड़ों में संक्रमण
  • मधुमेह के कारण
  • स्टेरॉयड का अधिक सेवन
  • कमजोरी, पोषक तत्वों की कमी

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