विश्व गठिया (अर्थराइटिस) दिवस: उपचार में देरी से जोड़ों के अलावा दूसरे अंगों को भी प्रभावित करती है गठिया

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  • खराब जीवन शैली के चलते युवा भी हो रहे गठिया के शिकार : डा. विनय कांत
    गाजियाबाद।
    गठिया रोग, लक्षण, कारण, बचाव और शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता के लिए हर वर्ष 12 अक्टूबर को विश्व गठिया रोग दिवस मनाया जाता है, ताकि लोग समय से इसके बारे में जानकर दुष्प्रभावों से बच सकें। सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को जिला एमएमजी चिकित्सालय में और मंगलवार, बृहस्पतिवार, शनिवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मोदीनगर में अपनी सेवाएं देने वाले हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. विनय कांत बताते हैं कि गठिया रोग मूलत: जोड़ों और आसपास सूजन आने के कारण होता है। लापरवाही करने पर यह गंभीर रूप धारण कर लेता है कई बार पीड़ित का चलना – फिरना मुश्किल हो जाता है। डा. विनय कांत का कहना है कि जोड़ों में दर्द होने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें। शुरूआती लक्षण आने पर केवल जीवनशैली में बदलाव करके भी गठिया को काबू किया जा सकता है। ग?ठिया (अर्थराइटिस) के बारे में जागरूकता के अभाव में यह समस्या विकट रूप धारण कर लेती है। इस संबंध में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से अर्थराइटिस और रूमेटिज्म इंटरनेशनल (एआरआई) ने 1996 से 12 अक्टूबर को विश्व गठिया दिवस का आयोजन शुरू किया ताकि पीड़ितों को प्रभावित करने वाले विषयों पर जागरूकता बढ़ाई जा सके।
    डा. विनय बताते हैं कि गठिया कई प्रकार की होती है। इसमें आॅस्टियो अर्थराइटिस (ओए) और रूमेटाइड गठिया (आरए) प्रमुख हैं। आॅस्टियो अर्थराइटिस अक्सर उम्र बढ़ने के साथ होती है जबकि खराब जीवनशैली के कारण रूमेटाइड अर्थराइटिस कई बार कम आयु में भी हो जाती है। रूमेटाइड अर्थराइटिस सिर्फ जोड़ों के दर्द तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इसका उपचार न कराया जाए तो हड्डियों और जोड़ों को नुकसान पहुंचाने के अलावा यह आंखों, त्वचा और फेफड़ों जैसे कई अंगों को प्रभावित कर सकती है।
    गठिया के लक्षण और कारण :
    डा. विनय का कहना है कि सुबह के समय शरीर के किसी अंग में अकड़न, कमजोरी, हल्का बुखार, भूख न लगना, मुंह और आंखें सूखना, शरीर में गांठें बनना रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षण हो सकते हैं। यह बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक देखी जाती है। यह रोग वंशानुगत के अलावा वायरल इंफेक्शन, जीवन शैली जैसे कि धूम्रपान, निष्क्रिय जीवन शैली और अत्यधिक वजन के कारण भी हो सकती है।
    ऐसे करें गठिया से बचाव :
    बचाव के लिए संतुलित जीवन शैली मददगार हो सकती है। तनाव से बचें, धूम्रपान न करें। पर्याप्त नींद लें। नमक और चीनी का नियंत्रित सेवन करें। प्रतिदिन पांच ग्राम से अधिक नमक का सेवन हृदय रोग और आॅस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ाता है। गठिया से बचाव के लिए गलत तरीके से उठने, बैठने और सोने से बचें। मोटापे से बचें। कैल्शियम और विटामिन-डी युक्त डाइट लें। शारीरिक व्यायाम अवश्य करें।

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