चन्द्रयान-3 की लैंडिंग में योगदान किसका!

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था के प्रयासों से चन्द्रमा में भेजा गया चन्द्रयान कल 23 अगस्त 2023 को वहां उतर जाएगा। हम सबको मिलकर ये कल्पना और प्रार्थना करनी चाहिए कि हमारे ‘इसरो’ से जुड़े लगभग 17 हजार वैज्ञानिकों-कर्मचारियों के संयुक्त प्रयास से की गई यह कोशिश सफल रहे और हमारी प्रतिष्ठा का मान हमारे देश का सम्मान चन्द्रयान-3 सफलतापूर्वक सुगमता से अपना लक्ष्य पूरा कर ले। गत माह 14 जुलाई को रवाना किए गए इस चन्द्रयान-3 का अब तक का सफर निर्धारित मापदंडों के अनुसार ही पूरा हुआ है और हमें आशा करनी चाहिए कि अंतिम चरण भी इसी तरह साुगमता से पूरा हो जाएगा। हमें केवल सफलता की कामना ही करनी चाहिए भले ही इसका श्रेय हमारे सियासी नेता अपने स्वार्थों के चलते अपने हिसाब से लेते रहें। अभी तक हमारे देश का यह दुर्भाग्य ही रहा है कि हमने इसरो जैसे महत्वपूर्ण संस्थान को सियासी नजर से कभी भी कोई महत्व नहीं दिया है। लाल किले से भले ही प्रधानमंत्री कई-कई बार देश को स्वतंत्रता दिवस पर संबोधित करते रहे हों मगर शायद कभी भी प्रधानमंत्री ने इसरो संस्थान को वह महत्व अपने संबोधनों में नहीं दिया जिसके लिए वास्तविकता में यह संस्थान हकदार है। आज भी हम इसरो वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं का जिक्र अपनी सियासी जुबान पर नहीं ला रहे हैं और देशभर में मंदिरों में जगह-जगह भजन संध्या आयोजित कर चन्द्रयान-3 की सफलता को अपनी धार्मिक आस्थाओं से जोड़ते हुए यह संदेश देना चाह रहे हैं कि आज के समय में जो वातावरण हमारे नेताओं ने बनाया है उसी के चलते प्रभु की कृपाओं से यह परीक्षण सफल होने जा रहा है। इस प्रयास को भी अपने सियासी नेताओं के खाते में डालकर यह कहते नहीं थक रहे कि अगर ये हैं तो सब मुमकिन है। हमें अपने काल्पनिक दृष्टिकोण को एक तरफ रखते हुए इस वास्तविकता को स्वीकार करना ही चाहिए कि इतने बड़े प्रयास हमारे वैज्ञानिकों की कोशिश से पूरे हो रहे हैं, हमारे राजनेताओं के प्रयास उसमें कोई अहम भूमिका नहीं निभा रहे। इसरो संस्था का कुल वार्षिक बजट साढ़े बारह हजार करोड़ रुपए है, इस धनराशि में इस संस्थान के लगभग 17 हजार वैज्ञानिक और कर्मचारी अपने वेतन सहित अन्य शोध कार्योँ पर भी खर्चा करके अपने प्रयासों को पूरा कर रहे हैं जबकि इस रकम से कहीं अधिक की रकम हमने उन भगौड़े देनदारों की माफ कर दी है जो देश को बड़ा आर्थिक चूना लगाकर विदेश भाग गए हैं। ऐसी परिस्थितियों में हमारे इसरो के वैज्ञानिक और कर्मचारी प्रशंसा के पात्र हैं और हमें एकजुट होकर उनके साथ खड़ा होना ही चाहिए क्योंकि वो लोग सीमित साधनों में भी असीमित प्रयास कर रहे हैं और परिणाम दे रहे हैं। हमें चन्द्रयान-3 की सफल और सुगम लैंडिंग की कामना और प्रार्थना करनी चाहिए।


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