पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहब के विचार मानव समाज के लिए प्रासंगिक: रामदुलार यादव

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गाजियाबाद। लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा पंडित महामना मदन मोहन मालवीय नि: शुल्क पुस्तकालय, वाचनालय वैशाली परिसर में भारत के पूर्व राष्ट्रपति कर्मयोगी, भारत रत्न, विलक्षण प्रतिभावान ड़ा. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि मनाई गई। पुस्तकालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं ने ड़ा. कलाम साहब के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे स्मरण किया तथा उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा लेकर बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता शिक्षाविद राम दुलार यादव ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें करते हुए कहा कि डा. एपीजे अब्दुल कलाम धनाभाव के कारण धनुष कोटि रेलवे स्टेशन पर समाचार पत्र वितरित कर शिक्षा ग्रहण कर लगन और कठिन परिश्रम कर मिसाइल मैन बन गये। दुनिया में भारत के सम्मान को बढ़ाया, देश का सिर ऊंचा किया, उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर सभी दलों ने 2002 में राष्ट्रपति पद के लिए समर्थन देकर सर्वोच्च पद पर आसीन किया। उनके विचार जो मानव समाज के लिए आज भी प्रासंगिक हैं, सपने वह नहीं जो सोते हुए देखे जाते है, सपने वह हैं जो लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आप को सोने न दें। यदि सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो सूरज की तरह जलना भी सीखो, मुश्किलों के बाद हासिल की हुई सफलता ही असली आनंद देती है, उन्होंने अपने जीवन में विषम परिस्थितियों में वह सब कर दिखाया जिसका सपना देखना साधारण इन्सान के लिए बहुत कठिन है, उनका जीवन संघर्षों और सफलताओं की मिसाल है, उनका मानना था कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का सिर्फ एक ही रास्ता है किसी काम को सम्पूर्ण ताकत लगाकर करें, वह सांप्रदायिक शक्तियों के प्रबल विरोधी, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र के प्रबल समर्थक, कुरान और गीता साथ-साथ लेकर चलते थे। प्रतियोगी छात्र चक्रधारी दूबे ने कहा कि कलाम साहब ईमानदारी की प्रतिमूर्ति थे, उन्होंने कहा कि जब वह राष्ट्रपति बने तो उनके परिवार के सदस्य और मेहमान इनके पास आये, जब तक वह राष्ट्रपति भवन में रहे, सारा खर्च इन्होंने अपने व्यक्तिगत चेक से भुगतान किया, जबकि वह खर्च भारत सरकार भी वहन कर सकती थी, उन्होंने ईमानदारी, नैतिकता, देश प्रेम का परिचय दिया, ऐसे महामानव सैकड़ों साल में पैदा होते हैं, हम उन्हें नमन करते हैं, वह कर्तव्य मार्ग पर डटे रहे, विश्वविद्यालय में व्याख्यान देने के दौरान 27 जुलाई 2015 को उन्होंने प्राण त्याग दिया, उनके द्वारा लिखी पुस्तकें, उनके आचरण और भाषण देशवासियों का मार्ग दर्शन करते रहेंगे।
कार्यक्रम में महिला उत्थान संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिन्दु राय, फराह खान, सोनित सोम, प्रतिभा शर्मा, नेहा शर्मा, आकाश, जतिन, आशुतोष, अंकुश, विक्रांत रावत आदि ने डा. कलाम सहाब को नमन किया।


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