विश्व आस्टियोपोरोसिस दिवस पर विशेष : बदलती जीवन शैली व खानपान से उम्र से पहले बूढ़ी हो रहीं हड्डियां

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गाजियाबाद। डाक्टरी भाषा में आस्टियोपोरोसिस हड्डियों की क्षरण की स्थिति को कहते हैं। यूं तो बढ़ती उम्र में यह परेशानी आम है, लेकिन बदलती जीवनशैली और खानपान के चलते आजकल युवावस्था में यह बीमारी घेर लेती है। इससे बचाव के लिए जागरूकता की जरूरत है। इसीलिए दुनिया के 90 से अधिक देशों में 20 अक्टूबर को विश्व आॅस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है। इस आयोजन का उद्देश्य आस्टियोपोरोसिस के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। अधिक से अधिक लोग इसके प्रारंभिक लक्षण जानें और समय रहते सचेत हो सकें, इसी उद्देश्य से विश्व आॅस्टियोपोरोसिस दिवस का आयोजन किया जाता है। यह बातें वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ और जिला एमएमजी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. मनोज कुमार चतुर्वेदी ने कहीं।
उन्होंने बताया कि आस्टियोपोरोसिस होने पर हड्डियों में ताकत कम हो जाती है और मामूली सी चोट लगने पर भी हड्डी टूटने या फ्रैक्चर होने का खतरा हो जाता है। कमर की हड्डी, कोशिकाओं के आसपास की हड्डियां और कूल्हे की हड्डी आॅस्टियोपोरोसिस से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। यही कारण है कि आॅस्टियोपोरोसिस होने पर सबसे पहले पीठ में दर्द, कमजोरी और थकान महसूस होती है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करने वाले आॅस्टियोपोरोसिस से बचे रहते हैं। बदलती जीवनशैली में विटामिन- डी की कमी आम है। जाहिर तौर पर विटामिन -डी की कमी होने से शरीर में कैल्शियम की भी कमी होने का खतरा रहता है कि क्योंकि विटामिन-डी के अभाव में शरीर हमारे आहार से कैल्शियम का अवशोषण नहीं कर पाता।
हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. अजय पंवार का कहना है कि विटामिन-डी का प्राकृतिक स्रोतस्रोत सूर्य की रोशनी है। हमें रोज सुबह कम से कम आधा घंटा सूर्य की रोशनी में बैठना चाहिए। अपने आहार में दूध-दही और कैल्शियम युक्त पदार्थ शामिल करें। साथ ही नियमित रूप से व्यायाम भी जरूर करें। आजकल की जीवनशैली में शारीरिक व्यायाम कम हुआ है और खानपान भी अच्छा नहीं रहा। बच्चे दूध-दही से भागते हैं। ऐसे में विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी हो जाती है, जो हमारी हड्डियों के क्षरण यानि आॅस्टियोपोरोसिस का कारण बन जाता है। मोनोपॉज में महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से भी यह समस्या होने लगती है। इसके अलावा रूमेटाइड आर्थराइटिस शराब और धूम्रपान और तंबाकू का सेवन भी इस समस्या का कारण बनता है।
उन्होंने बताया डेयरी उत्पाद कैल्शियम के अच्छेस्रोत स्रोत होते हैं, कैल्शियम हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है। दूध, दही और पनीर को रोजाना अपने भोजन में शामिल करें। पनीर और दालें, प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं। मांसाहारी लोग मीट मांस से प्रोटीन की पूर्ति कर लेते हैं। इसके अलावा ताजे फल और सब्जियां, पालक, शकरकंद, मूली और केले का सेवन भी हड्डियों की मजबूती के लिए अच्छा माना जाता है।


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