उत्तर प्रदेशगाजियाबाद

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में केआईईटी में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित

गाजियाबाद। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में, दिल्ली-एनसीआर स्थित काईट ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस में विश्व पर्यावरण दिवस बड़े उत्साह, समर्पण और जागरूकता के साथ मनाया गया। इस विशेष अवसर पर संस्थान के विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए सक्रिय भागीदारी निभाई। कार्यक्रम की शुरूआत संस्थान परिसर में पौधारोपण अभियान से हुई, जिसमें संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों, शिक्षकों तथा छात्र-छात्राओं ने मिलकर विभिन्न प्रकार के छायादार, औषधीय व फलदार वृक्ष लगाए। पौधारोपण के इस प्रयास का उद्देश्य न केवल हरियाली बढ़ाना था, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था। इसके पश्चात विद्यार्थियों द्वारा निबंध लेखन प्रतियोगिता एवं पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जो कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी: एक दूरदर्शी राजनेता और राष्ट्र निर्माण में उनकी अग्रणी भूमिका, प्लास्टिक को ना कहें, ग्रह को हां कहें अथवा प्रदूषण से समाधान तक: प्लास्टिक कचरे को अभी समाप्त करें विषय पर आधारित थे।
कार्यक्रम में नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें छात्रों ने अभिनय के माध्यम से पर्यावरणीय असंतुलन, प्लास्टिक प्रदूषण, वनों की कटाई और जल संकट जैसे विषयों पर प्रभावशाली संदेश दिए। इस रचनात्मक प्रस्तुति ने दर्शकों को गहराई से सोचने के लिए प्रेरित किया। संस्थान के संयुक्त निदेशक डॉ. मनोज गोयल ने इस अवसर पर उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा, पर्यावरण की रक्षा केवल एक दिन की गतिविधि नहीं, बल्कि यह एक सतत प्रक्रिया है। हमें अपने दैनिक जीवन में ऐसे छोटे-छोटे कदम उठाने होंगे जो प्रकृति के साथ तालमेल बिठाएं। इस वर्ष का पर्यावरण दिवस विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत के महान सपूत, अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान मनाया जा रहा है। अटल जी का जीवन प्रकृति, संस्कृति और राष्ट्र सेवा के प्रति समर्पण का प्रतीक रहा है। उनका दर्शन हमें पर्यावरणीय संतुलन और विकास के मध्य सामंजस्य स्थापित करने की प्रेरणा देता है। संस्थान द्वारा यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रही, बल्कि यह छात्रों के व्यक्तिगत विकास और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को भी सशक्त करने वाली सिद्ध हुई।

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