- राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान चलाकर जनपद को किया जाएगा मोतियाबिंद से मुक्त
- दृष्टिहीनता व दृष्टि दोष दूर करने के लिए जनपद में लगाए जाएंगे जगह-जगह शिविर
- शिविर में मोतियाबिंद के मरीजों को चिन्हित कर कराए जाएंगे आपरेशन
- आशा कार्यकत्री एवं एनएमएम ग्राम स्तर पर मरीजों का जुटाएंगी डाटा
गाजियाबाद। अभी तक स्वयंसेवी संस्थाएं नेत्र चिकित्सा शिविर आयोजित कर मोतियाबिंद से ग्रस्त मरीजों की पहचान करती थीं लेकिन अब जिला प्रशासन ने भी इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है। स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए दूष्टिहीनता व दृष्टि दोष को दूर करने के लिए मरीजों का ग्राम स्तर पर चिन्हीकरण किया जाएगा। सोमवार को जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट के महात्मा गांधी सभागार में राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान के संबंध में महत्वपूर्ण बैठक आहूत की गई। जिलाधिकारी ने मोतियाबिन्द के बैकलॉग को समाप्त करने के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय दृष्टिविहीनता एवं दृष्टिदोष नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत 3 वर्षीय राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान चलाकर जनपद को मोतियाबिन्द बैकलॉग मुक्त किये जाने के सम्बन्ध में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किए। बैठक में जिलाधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार स्तर पर लिये गये निर्णय के क्रम में राष्ट्रीय दृष्टिविहीनता एवं दृष्टिदोष नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत देश के सभी प्रदेशों/जनपदों/ब्लॉको में वर्ष 2022-23 से 2024-25 तक तीन वर्षीय राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान को मिशन मोड में चलाकर 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 16 प्रतिशत नागरिकों के नेत्रों की स्क्रीनिंग कर पंजीकृत किया जाना एवं पंजीकृत लाभार्थियों का अधिक से अधिक आॅपरेशन कर प्रदेश को मोतियाबिन्द बैकलॉग मुक्त किया जाना है। यह अभियान को जून-2022 से ही प्रारम्भ किया जाना है । बैठक में जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने निर्देशित करते हुए कहा कि ग्राम स्तर पर उपलब्ध आशा एवं ए0एन0एम के द्वारा कराये गये मोतियाबिन्द ग्रसित मरीजों के सर्वे के आधार पर उपलब्ध डाटा के अनुसार सभी ब्लाकों में राजकीय/एन0जी0ओ0/तकनीकी रूप से सक्षम निजी चिकित्सालयों में अधिक से अधिक मोतियाबिन्द आॅपरेशन कराते हुए ब्लॉक एवं जनपद को मोतियाबिन्द बैकलॉग मुक्त कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे इस प्रयास के बाद अगले तीन वर्षों में मोतियाबिंद को जिले से मुक्त कर दिया जाएगा।
बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. भवतोष शंखधर, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. विश्राम सिंह, अन्य संबंधित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी, एमओआईसी एवं प्राइवेट अस्पताल तथा संस्था के पदाधिकारी उपस्थित रहे।