‘मोक्ष’ वास्तविकता या कल्पना पर आॅनलाइन गोष्ठी आयोजितआत्मा का सांसारिक दु:खों से मुक्ति ही मोक्ष है.डॉ. मनोज तंवर

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गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में ‘मोक्ष’ वास्तविकता या कल्पना विषय पर आर्य गोष्ठी का आयोजन आॅनलाइन जूम पर किया गया। वैदिक विद्वान डॉ. मनोज तंवर (गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय) ने मोक्ष की संभावना और असंभावना पर विचार करते हुए पक्ष और विपक्ष में अध्यात्म वादियों और भौतिकवादियों दोनों के मतों की समीक्षा की तथा पाया कि मानव जीवन की एक वास्तविकता नैतिक नियम है जो पुनर्जन्म की आवश्यकता का अनुभव करते हैं और पुनर्जन्म आत्मा की अमरता का और आत्मा का होना मोक्ष को फलित करता है अत: मोक्ष कल्पना नही वास्तविकता है। मोक्ष का सामान्य अर्थ दुखों का विनाश है। दुखों के आत्यन्तिक निवृत्ति को ही मोक्ष या कैवल्य कहते हैं। उन्होंने कहा कि सभी भारतीय दर्शन यह मानते हैं कि संसार दुखमय है। दुखों से भरा हुआ है। किन्तु ये दुख अनायास नहीं है। इन दुखों का कारण है। उस कारण को समाप्त करके हम सभी प्रकार के दुखों से मुक्त हो सकते हैं। दुख-मुक्ति की यह अवस्था ही मोक्ष है या कैवल्य है। और यही जीवन का अन्तिम लक्ष्य है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि मोक्ष जीवन का अंतिम लक्ष्य है जब तक इस लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो जाती तब तक संसार में जन्म मरण का चक्र चलता रहेगा और जीव दु:ख भोगता रहेगा। भारतीय दर्शन सिर्फ मोक्ष की सैद्धान्तिक चर्चा ही नहीं करता बल्कि उसकी प्राप्ति के व्यवहारिक उपाय भी बताता है इसीलिए भारतीय दर्शन कोरा सैद्धान्तिक दर्शन न होकर एक व्यवहारिक दर्शन है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र कुकरेजा ने कहा कि मोक्ष का विचार बन्धन से जुड़ा हुआ है। आत्मा का सांसारिक दुखों से ग्रस्त होना ही उसका बन्धन है और इन दुखों से सर्वथा मुक्त हो जाना ही मोक्ष है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रांतीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि वेद में आस्था रखने वाले आस्तिक एवं वेद विरोधी नास्तिक, दोनों प्रकार के भारतीय दर्शन चार्वाक को छोड़कर मोक्ष को स्वीकार करते हैं और अपने-अपने दृष्टिकोण से कैवल्य या मोक्ष के स्वरूप एवं साधनों को जन कल्याण हेतु बताते हैं। गायिका राजश्री यादव, संतोष आर्या, सुलोचना देवी, आशा आर्या, रविन्द्र गुप्ता, कुसुम भंडारी, ईश्वर देवी आर्या, प्रवीना ठक्कर, प्रतिभा कटारिया आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आचार्य महेन्द्र भाई, हरीओम आर्य,आनन्द प्रकाश आर्य, सौरभ गुप्ता, डॉ. रचना चावला, मधु खेड़ा, राजेश मेंहदी रत्ता, विजय हंस, रामकुमार सिंह आर्य, अतुल सहगल, ललित बजाज, उर्मिला आर्या आदि उपस्थित थे।Attachments area


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