बंगाल में होने वाले विधानसभा के चुनाव को लेकर भाजपा सरकार पुरजोरता से जुटी हुई है और हर तरह के दांव-पेंच लगाकर इस बार बंगाल की विधानसभा में अपना परचम फहराना चाहती है। एक दर्जन से अधिक केन्द्रीय मंत्री, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को मिलाकर सौ से अधिक सभाएं भाजपा ने बंगाल में आयोजित करने का चुनावी एजेंडा तैयार किया है। कई चाणक्य बुद्धियां मिलकर बंगाल में शतरंज की ऐसी चाल चलना चाहती हैं जो इस देश के इतिहास में न तो पहले किसी ने देखा होगा और न ही ऐसा सुना होगा। दिनरात लगकर शतरंज की गोटियां बिछाई जा रही हैं लेकिन जो अनुमान अभी तक सामने आ रहा है उसे देखते हुए तो यही लग रहा है कि बंगाल में हो रहे शतरंज के खेल के परिणाम सांप-सीढ़ी के खेल जैसे निकलकर सामने आएंगे। ममता सागर से कई बड़ी सिप्पियों को निकाल-निकालकर भाजपा महासागर में शामिल किया गया है। लेकिन जो खेला होय के परिणाम आगामी दो मई को सामने आने जा रहे हैं वो तो शायद कुछ अलग ही परिणाम देने के संकेत दे रहे हैं। बंगाल के इस खेला में कई ऐसे छोटे-बड़े नेता अलग-अलग सीढ़ियां पकड़कर पार उतर जाएंगे या फिर अलग-अलग सांपों के डंक खाकर उनकी पूंछ पर आ गिरेंगे। यही स्थिति भाजपा के कई बड़े राष्टÑीय नेताओं की भी होने जा रही है। या तो वो सीढ़ी चढ़ जाएंगे या फिर काल सर्प का डंक खाकर पूंछ पर आ गिरेंगे यानी धरती पकड़ जाएंगे। भाजपा अगर बंगाल के इस काल सर्प का डंक खा गई तो उसकी स्थिति ऐसी हो जाएगी कि उस डंक के जख्म पर उसे लगाने के लिए कोई मरहम भी नहीं मिलेगा। कई बड़े-बड़े महारथी मिलकर एक अकेली यौद्धा पर हर तरह के शस्त्र से वार कर रहे हैं। मोदी ब्रह्माशास्त्र भी रह रहकर चलाया जा रहा है लेकिन अब ममता की सुरक्षा ढाल उसकी ‘व्हील चेयर’ मजबूती से उसके साथ खड़ी हो गई है। चुनावी प्रचार में ये व्हील चेयर ममता को जन भावनाओं की ममता दे रही है। इस व्हील चेयर पर लटका ममता का बांया पांव चुनावी समर में अंगद का पैर बनकर साथ चल रहा है। अब इस पैर का हिला पाना मुश्किल सा ही लग रहा है। बंगाल चुनाव में सांप सीढ़ी के इस खेल को अंगद का यह पैर मजबूती दे रहा है।