- आशा-एएनम घर जाकर स्पुटम जांच के लिए नमूने एकत्र करेंगी
- सीएचओ के माध्यम से टीबी केंद्र पर जांच को भेजे जाएंगे नमूने
गाजियाबाद। क्षय रोगियों को खोजने के लिए जनपद में मंगलवार से विशेष अभियान शुरू हो गया है। इस अभियान में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) क्षय रोगियों को खोजकर स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) पर स्पुटम (बलगम) जांच कराएंगे और जांच में क्षय रोग की पुष्टि होने पर तत्काल उपचार शुरू कराएंगे। यह विशेष अभियान 30 सितंबर तक चलेगा। अभियान के तहत जिले में 5294 नमूनों की जांच का लक्ष्य शासन से मिला है। अभियान को सफल बनाने के लिए सोमवार को सीएमओ डा. भवतोष शंखधर और डीटीओ डा. डीएम सक्सेना ने सीएमओ कार्यालय में टीबी कर्मचारियों की बैठक ली।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. डीएम सक्सेना ने बताया क्षय रोगियों की पहचान के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें निक्षय आईडी बनाना भी सिखाया गया है ताकि वह निक्षय पोर्टल पर जाकर क्षय रोगियों का पंजीकरण भी कर सकें और तत्काल उपचार शुरू करा सकें। आशा और एएनएम घर जाकर क्षय रोगियों के संपर्कों और लक्षण युक्त लोगों के स्पुटम एकत्र करेंगी, सीएचओ के माध्यम से स्पुटम जांच के लिए नमूने टीबी केंद्र भेजे जाएंगे।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सक्सेना ने बताया कि 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के लिए प्रारंभिक अवस्था में ही क्षय रोगियों की पहचान जरूरी है ताकि तत्काल उनका उपचार शुरू कर क्षय रोग के फैलाव को रोका जा सके। उन्होंने बताया टीबी दो प्रकार की होती है। पल्मोनरी टीबी और एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी। पल्मोनरी टीबी में फेफड़े संक्रमित होते हैं, जबकि एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करती है। पल्मोनरी टीबी का संबंध फेफेड़ों से होने के कारण यह सांस के जरिए एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। इसलिए इसका प्रसार अधिक है। जल्दी उपचार शुरू कर हम इसका फैलाव रोक सकते हैं। एक्विव केस फाइंडिंग अभियान (एसीएफ) और विशेष अभियानों के जरिए विभाग अधिक से अधिक रोगियों की पहचान का प्रयास करता है। 23 अगस्त से 30 सितंबर तक चलने वाले विशेष अभियान का भी यही उद्देश्य है।
डीटीओ ने बताया विशेष अभियान में सीएचओ क्षय रोगियों के संपर्क में आने वालों (परिजनों) की जांच कराएंगे। उनके स्पुटम की जांच कर क्षय रोग संक्रमितों की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान कर उनका उपचार शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया हर फेफड़ों की टीबी का रोगी अपने संपर्क में आने वाले 10 से 15 लोगों को संक्रमित करता है। क्षय रोगी मॉस्क का प्रयोग कर अपनों को संक्रमण से बचा सकता है। जल्दी उपचार शुरू कराना भी क्षय रोगी के करीबियों को संक्रमण से बचाने में कारगर है। इसलिए दो सप्ताह से अधिक खांसी, खांसी में बलगम या खून आना, बुखार रहना, रात में सोते समय पसीना आना, वजन और भूख कम होना जैसे लक्षण होने पर नजदीकी टीबी केंद्र पर जाकर निशुल्क बलगम जांच कराएं।