- जिलाधिकारी एवं सीडीओ ने प्रशस्तिपत्र देकर बढ़ाया हौसला
- बेटियों के नाम रही बाजी, सेहतमंद 12 बच्चों में से 11 बेटियां
हापुड़। स्वस्थ बालक-बालिका प्रतिस्पर्धा में ब्लॉक वार प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहे बच्चों को जिलाधिकारी मेधा रूपम एवं मुख्य विकास अधिकारी प्रेरणा सिंह ने पुरस्कृत किया। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी सेहतमंद बच्चों के अभिभावकों को प्रशस्तिपत्र प्रदान किए। इस अवसर पर मौजूद अभिभावकों को सीडीओ ने पोषण का महत्व बताया। उन्होंने कहा बचपन में पोषण पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। हर मां को बच्चों के खानपान का ध्यान रखना चाहिए।
जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) ज्ञान प्रकाश तिवारी ने बताया कि पोषण माह के दौरान 22 सितंबर को जनपद में स्वस्थ बालक- बालिका प्रतिस्पर्धा आयोजित की गई थी। प्रतिस्पर्धा में ब्लॉक वार पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे 12 बच्चों और उनके अभिभावकों को सोमवार को पुरस्कृत करने के लिए कलेक्ट्रेट सभागार में बुलाया गया और जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी प्रेरणा सिंह ने अपने कर कमलों से उन्हें पुरस्कृत किया। डीपीओ ने बताया कि धौलाना परियोजना से परतापुर निवासी इंतजार और फरीन के पुत्र समद, शाहपुर फगौता निवासी कुलदीप और आरजू की पुत्री पूर्वी और भावा निवासी प्रदीप व मीनाक्षी की पुत्री ध्यानाक्षी को पुरस्कृत किया गया। हापुड़ ब्लॉक के सबली गांव निवासी आशु और पूजा की पुत्री परी, बाबूगढ़ निवासी कुलदीप और मीनाक्षी की पुत्री अवनीत कौर और सालेपुर कोटला निवासी कासिम और आसमा की पुत्री इनाया को पुरस्कृत किया गया। इसी प्रकार सिंभावली परियोजना के अंतर्गत भगवानपुर गांव निवासी गौरव और रीना की पुत्री काव्या, पुनीत और संगीता की बेटी माही एवं बबलू और पूजा की बेटी श्रृष्टि को पुरस्कृत किया गया। गढ़ परियोजना में पहले तीनों स्थानों पर बदरखा गांव का कब्जा रहा। नासिर और राहिला की बेटी फरीहा, मसरूफ और आफशा की बेटी शिफान एवं आकाश और यशोदा की बेटी इंदु को अच्छी सेहत के लिए पुरस्कृत किया गया। ज्ञान प्रकाश तिवारी ने बताया कि स्वस्थ बालक-बालिका चयन के लिए विभिन्न मानकों पर अंक निर्धारित किये गये थे। मासिक वृद्धि निगरानी के लिए पांच अंक। व्यक्तिगत स्वच्छता के तहत साफ हाथ, नाखून कटे होने, पोषण श्रेणी (ऊंचाई लंबाई के सापेक्ष वजन) जो लगातार सामान्य श्रेणी में हो या गंभीर तीव्र अतिकुपोषित (सैम) से मध्यम गंभीर कुपोषित (मैम) या फिर मैम से सामान्य श्रेणी में आए, उसके लिए 10 अंक। इसी प्रकार आहार की स्थिति -शून्य से छह माह तक केवल स्तनपान, छह माह से तीन वर्ष तक प्राप्त होने वाले अनुपूरक पुष्टाहार का नियमित सेवन, तीन से पांच वर्ष के बच्चे (प्राप्त होने वाले अनुपूरक पुष्टाहार) का नियमित सेवन तथा आंगनबाड़ी केंद्र में उपस्थिति के लिए और आयु आधारित टीकाकरण के लिए 10-10 अंक । जबकि डी वार्मिंग के लिए पांच अंक निर्धारित किए गए थे। इन्ही मानकों पर प्रत्येक केंद्र पर स्वस्थ बालक/बालिका का चयन किया गया। जिलाधिकारी मेधा रूपम ने सभी बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए उत्तम स्वास्थ्य की कामना की है।