- सरस्वती मेडिकल कॉलेज में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
- निबंध और पोस्टर प्रतियोगिता में भी लिया भाग
हापुड़। गली के नुक्कड़ पर खड़ा अधेड़ लगातार खांस खांसकर बेहाल है। तभी ऊधर से एक युवक गुजरता है, चाचा राम – राम। हो राम-राम बेटा। चाचा कैसे कर रहे हो ? खांसी हो रही है बेटा। कब सै? दो-तीन हफ्तों सै। दो-तीन हफ्तों सै ! हां बेटा। खांसी के साथ बलगम अर खून भी आबै है? हां थोड़ा थोड़ा आबै है। क्या कमजोरी भी है? हां लगै तो है। लगता है धूम्रपान करते हो? हां कभी-कभी। क्या वजन कम हो रहा है ? हां बेटा। ये तो चाचा टीबी के लक्षण हैं। भईया यो का होबै है? टीबी वैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। स्वास्थ्य केंद्र जाओ और टीबी की जांच कराओ। चिंता करने और कुछ छिपाने की बात ना है। छह महीना लगकै दवा खाओगे तो ठीक हो जाओगे। पैसा भी ना लगेंगे, और हां आधार कार्ड अर बैंक की किताब लेते जईयो। सरकारी स्वास्थ्य केंद्र से टीबी की दवा मुफत मिलेगी अर साथ में सरकार हर माह पांच सौ रुपए भी भेजेगी खाते में।
यह वार्तालाप अनवरपुर स्थित सरस्वती इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंस के बीएससी नर्सिंग और फार्मेसी के छात्रों द्वारा विश्व क्षय रोग दिवस के उपलक्ष्य में पेश किए नुक्कड़ नाटक का है। क्षय रोग विभाग की ओर से शुक्रवार को इंस्टीट्यूट में क्षय रोग को लेकर कराए गए जागरूकता कार्यक्रम के दौरान मेडिकल के छात्रों ने टीबी विषय पर निबंध और पोस्टर प्रतियोगिता में भी भाग लिया। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने छात्रों द्वारा पेश किए गए नुक्कड़ नाटक को काफी सराहा और उन्हें आगे भी इस तरह के कार्यक्रम करते रहने के लिए प्रेरित किया। डीटीओ ने कहा, इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन से समाज क्षय रोग के प्रति जागरूक होगा। क्षय रोग के प्रसार को केवल जागरूकता से ही रोका जा सकता है।
कार्यक्रम के आयोजन में सरस्वती इंस्टीटयूट आॅफ मेडिकल साइंस के प्राचार्य डा. आरसी पुरोहित, नर्सिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आर. मनोहारी शिवा कुमार और फामेर्सी के विभागाध्यक्ष डा. नितिन के अलावा चेस्ट विभाग से डा. सिद्धार्थ, डा. राहुल सचान, डा. ललित और डा. जिग्नेश नागर का विशेष सहयोग रहा।