गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में जन्म और मृत्यु विषय पर आॅनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया। वैदिक विदुषी रमा चावला ने कहा कि जन्म और मृत्यु के बंधन से छूट जाना ही मुक्ति कहलाता है। मानव जीवन बहुत दुर्लभ जीवन है बड़ी कठिनाई से हमें मिलता है जन्म और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जन्म और मृत्यु एक दूसरे से बंधे हुए हैं और एक दूसरे के पूरक भी हैं। जन्म ही दुख का कारण है जन्म होगा तो मृत्यु निश्चित ही है भले बुरे कर्म ही जन्म का कारण है। मृत्यु परमात्मा का अटल नियम है जैसे संयोग के साथ वियोग जुड़ा हुआ है। मृत्यु बहुत बड़ा पहरेदार है जो हमें एक पल के लिए भी अपने से अलग नहीं करता। सब के गले में मृत्यु का फंदा पड़ा हुआ है ना जाने मृत्यु का कब बुलावा आ जाए मृत्यु को तो विद्वान और योगी भी नहीं टाल सके हैं। ढलती हुई उम्र के साथ मृत्यु की सोच तथा तैयारी करनी चाहिए क्योंकि मृत्यु का भय हमें परमात्मा से प्रीति कराता है। मृत्यु का चिंतन हमें पाप, अपराध, अधर्म, बुराइयों से सन्मार्ग तथा प्रभु भक्ति की ओर ले जाता है। साकाम कर्म से बंधन तथा निष्काम कर्म से हमें मोक्ष प्राप्त होता है। अत: अंत में यही कहना चाहूंगी कि जो परमात्मा रूपी धुरी के पास पहुंच जाता है वह जन्म और मृत्यु के बंधन से छूट जाता है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि जिसकी यश कीर्ति जीवित है वह जीवित है। व्यक्ति को सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए। मुख्य अतिथि उर्मिला आर्या व अध्यक्ष आशु कवि राज सरदाना ने कहा कि मृत्यु एक अटल सत्य है उसे हंस कर स्वीकार करना चाहिए। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि योग से हम मृत्यु को सुगम बना सकते हैं।स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा को हार्दिक बधाई दी गई। गायिका प्रवीना ठक्कर,कुसुम भंडारी,संगीता आर्या,वीरेन्द्र आहूजा, रवीन्द्र गुप्ता, सुमित्रा गुप्ता, कमलेश हसीजा, प्रतिभा कटारिया, ईश्वर देवी,संध्या पांडेय आदि ने भजन सुनाये। प्रमुख रूप से प्रो.करुणा चांदना, डॉ. रचना चावला, पूरन चंद आर्य (रांची),आर पी सूरी,राजेश मेहंदीरत्ता, अभिमन्यु चावला, अमरनाथ बत्रा,धर्मदेव खुराना, आस्था आर्या आदि उपस्थित थे ।