- थायराइड से बचने के लिए लें अच्छी नींद
- खानपान और नियमित जीवन शैली का रखें ख्याल
गाजियाबाद। महिलाओं में थायराइड असंतुलन की समस्या आजकल काफी बढ़ रही है। बहुत हद तक इसके लिए हमारी अनियमित जीवनशैली और खानपान भी जिम्मेदार है। जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डा. संगीता गोयल ने बताया कि थायराइड असंतुलन की समस्या हालांकि पुरुषों में भी होती है लेकिन महिलाओं में थायराइड असंतुलन के ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं में हार्मोनल संवेदनशीलता ज्यादा होना है, अनियमित माहवारी, ज्यादा थकान, गर्मी और सर्दी के प्रति ज्यादा संवेदनशील होने के साथ अचानक वजन बढ़ना या कम होना थायराइड असंतुलन के लक्षण हो सकते हैं। जागरूकता और थोड़ी सी सावधानी से इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है, इसी उद्देश्य से हर वर्ष 25 मई को विश्व थायराइड दिवस मनाया जाता है।
डा. संगीता गोयल ने बताया कि अनियमित माहवारी, गर्भकाल के दौरान, 40 की उम्र के बाद मोनोपॉज के दौरान या फिर तनाव के चलते महिलाओं के थायराइड असंतुलन का शिकार होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए गर्भधारण की योजना बनाने से पहले थायराइड की स्क्रीनिंग अवश्य कराएं। गर्दन में तितली के आकार वाली ग्रंथि, जो हार्मोन डिस्चार्ज करते हुए शरीर की रसायनिक क्रियाओं को नियंत्रित करने का काम करती है। इस ग्रंथी से होने वाले हार्मोनल डिस्चार्ज में गड़बड़ी थायराइड असंतुलन का कारण बन जाती है। समय से इस समस्या पर ध्यान न दिया जाए तो स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं के अलावा यह बांझपन का कारण भी बन सकती है।
थायराइड असंतुलन के प्रमुख लक्षणों में थकान और कमजोरी, अचानक वजन बढ़ना या फिर घटना, सर्दी-गर्मी के प्रति अधिक संवेदनशीलता, गर्दन के आसपास पिगमेंटेशन (गर्दन की त्वचा ढीली और काली पड़ना), चिंता या घबराहट, कंपकपी, चिड़चिड़ापन, नींद आने में मुश्किल होना या ज्यादा नींद आना और अनियमित माहवारी आदि शामिल हो सकते हैं। यदि इनमें से कोई लक्षण हो तो चिकित्सक से संपर्क करें और उनकी सलाह पर आवश्यक जांच कराएं। इसके साथ ही जंक फूड (तला-भुना), अधिक चीनी और कॉफी से दूरी बना लें। हरी सब्जियां, मौसमी फल और फाइबर युक्त भोजन करने से थायराइड को संतुलित रखने में मदद मिलती है।