- जलवायु परिवर्तन अनुसंधान और नीतिगत अंतराल को कम करने हेतु कार्यशाला का आयोजन 4 नवंबर से
- कार्यशाला में शोधकर्ता जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में अपने शोध का करेंगे प्रस्तुतिकरण
- शोधकर्ता 12 अक्टूबर 2022 तक कर सकते हैं आवेदन
लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने स्थानीय जलवायु कार्यवाही में वृद्धि के लिए जलवायु परिवर्तन अनुसंधान और नीतिगत अंतराल को कम करने हेतु प्रस्तावित कार्यशाला के लिये शोधकर्ताओं को शोध के सार को जमा करने हेतु विकसित पोर्टल को लांच किया। अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि जलवायु कार्यवाही के लिए पर्यावरणीय नीतियों को परिभाषित करने में विज्ञान और तकनीकी ज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अविरत शोध, नवीनतम निष्कर्षाे और नीतिगत प्राथमिकताओं के बीच कुछ अंतराल है। व्यापक जनहित में इस अंतराल को कम करने की जरूरत है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुये कहा कि प्रस्तावित कार्यशाला युवा शोधकर्ताओं को उनके स्थानीय जलवायु क्रिया-उन्मुख शोध निष्कर्षाे को नीति निर्माताओं के समक्ष प्रदर्शित करने का मंच प्रदान करेगी। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मनोज सिंह द्वारा प्रस्तावित कार्यशाला का संक्षिप्त प्रस्तुतिकरण भी दिया गया। उन्होंने बताया कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, जर्मन विकास सहयोग (जीआईजेड), आईआईटी कानपुर, पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के साथ मिलकर स्थानीय जलवायु कार्यवाही में वृद्धि के लिए जलवायु परिवर्तन अनुसंधान और नीतिगत अंतराल को कम करने हेतु कार्यशाला का आयोजन 4-5 नवम्बर, 2022 को लखनऊ में प्रस्तावित है जिसमें चयनित शोधकर्ताओं द्वारा जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में अपनी शोध का प्रस्तुतिकरण करेंगे। इस हेतु शोधकर्ताओं को शोध के सार जमा करने हेतु पोर्टल विकसित किया गया है। उक्त पोर्टल के माध्यम से शोधकर्ता जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को विषयगत क्षेत्रों जैसे कृषि, वानिकी, आपदा प्रबंधन, जल, ग्रामीण विकास और लिंग पर अपने शोध पत्र को चयन हेतु जमा करेंगे। शोधकर्ता इस पोर्टल पर 12 अक्टूबर 2022 तक आवेदन कर सकते हंै। इस अवसर पर जीआईजेड, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय जीईएजी तत्वा फाउंडेशन के प्रतिनिधि, पर्यावरण निदेशालय उ.प्र. के वरिष्ठ अधिकारी एवं आईआईटी कानपुर के प्रो. डा. मुकेश शर्मा आदि उपस्थित थे।