कमल सेखरी
आतंकी संगठन तालिबान ने समूचे अफगानिस्तान में अपना कब्जा कर लिया है। कल शाम वे अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में भी बिना किसी रोकटोक के अंदर घुस गए और वहां राष्ट्रपति भवन पर भी अपना कब्जा जमा लिया। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी पश्चिम देशों की सलाह पर अपना राष्ट्रपति भवन छोड़कर सड़क के रास्ते तजाकिस्तान पहुंच गए और वहां उन्होंने पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार राजनयिक शरण ले ली। हालांकि राष्ट्रपति अशरफ गनी ने एक दिन पहले ही नागरिकों को संबोधित अपने भाषण में कहा था कि वो तालिबान लड़ाकू आतंकियों का डटकर मुकाबला करेंगे और उनकी फौज इन आतंकियों को काबुल की सीमा में प्रवेश नहीं करने देंगी। राष्ट्रपति अशरफ गनी का यह भाषण केवल लोगों का मनोबल बनाए रखने और तालिबानियों पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव डालने के लिए ही दिया गया था। जबकि अफगानिस्तान के मित्र कई पश्चिमी देशों ने उन्हें यही सलाह दी थी कि वो ऐसा कुछ माहौल बनाकर खुद काबुल छोड़कर तजाकिस्तान चले जाएं। इसी पूर्व योजना के तहत राष्ट्रपति गनी सड़क मार्ग से ही अपने पड़ोसी मित्र देश तजास्तिान पहुंच गए। वहां पहुंचकर उन्होंने यह ऐलान भी किया कि खून खराबे से बचने के लिए उन्होंने ऐसा फैसला किया जो काबुल की जनता के हित में था। उन्होंने यह भी कहा कि वे जल्द ही फिर से जनता के बीच काबुल लौटेंगे। 25 हजार की भारी संख्या में तालिबान लड़ाकुओं ने काबुल में यही सोचकर हमला किया था कि वहां उनका अफगानी फौज से भयंक युद्ध होगा और उसमें कई हजार लोग दोनों तरफ से मारे भी जाएंगे। लेकिन बिना किसी विरोध के राजधानी काबुल में प्रवेश करने पर उन्हें हैरानी हुई और उन्होंने वहां सत्ता पर काबिज होते ही सबसे पहली घोषणा यही की कि वो काबुल के आम नागरिकों के साथ मधुर व्यवहार करेंगे और किसी तरह की मारपीट या सख्ती नहीं बरतेंगे। इस घोषणा में यह भी कहा गया कि अफगानिस्तान की महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने और नौकरी करने की भी खुली छूट दी जाएगी। तालिबान की इस नई आतंकी हुकूमत ने अभी यह घोषणा की ही थी कि उसके कुछ घंटे बाद ही राजधानी काबुल में चारों ओर फैले तालिबानी लड़ाकुओं ने आम लोगों के घरों में जबरन घुसकर लूटपाट करनी शुरू कर दी और महिलाओं के साथ जबरन अश्लीलता भी बरतने लगे। ये तालिबानी लड़ाकू ऐसा कुछ करेंगे यह विश्व के अधिकांश देशों को पहले से ही अनुमान था। ये सभी देश जानते थे कि बिना अनुशासन के निरंकुश तालिबानी लड़ाकू ऐसी अमानवीय हरकतें करेंगे और बेकाबू होकर अपनी बर्बरता का प्रदर्शन करेंगे। आज की स्थिति में काबुल की हर गली में ये लड़ाकू हाथों में बंदूकें और मशीनगन लहराते हुए घूम रहे हैं। वहां पूरी राजधानी में दहशत का सा माहौल है। इन निरंकुश लड़ाकुओं ने कब्जा पाने के कुछ ही घंटे बाद काबूल हवाई हड्डे पर भी गोलिया चलाकर वहां से पलायन कर जा रहे लोगों में दहशत फैलाने का भी काम किया है। अफगानिस्तान के सभी मित्र देश यह जानते हैं कि यह तालिबानी लड़ाकू सत्ता मिलते ही इतने निरंकुश हो जाएंगे कि आपस में ही खून खराबा शुरू कर देंगे। जल्द ही काबुल की परिस्थितियां कुछ ऐसी बन जाएंगी कि वहां अफगानिस्तान के सभी मित्र देश हस्तक्षेप करेंगे और बल का इस्तेमाल करके लोकतंत्र की बहाली और मानव रक्षा के नाम पर तालिबानियों को वैसे ही कुचलने का काम करेंगे जैसे बीस साल पहले किया गया था। काबुल में लूटपाट और खून खराबे का माहौल जो एकदम से बन गया है वो बहुत अधिक दिन शायद नहीं रह पाएगा। तालिबानी सत्ता अगर अपने खुद के बीच लड़ाकुओं पर अंकुश नहीं लगा पाई तो जल्द ही फिर से सत्ता से बाहर हो जाएगी।