-डा. उर्वशी मक्कड़ को मिला एकेडमिक लीडर आफ द ईयर फोर इनोवेटिव प्रेक्सिस का अवार्ड
गाजियाबाद। लालकुआं स्थित आईएमएस को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। फेडरेशन आॅफ वर्ल्ड एकेडमिक्स द्वारा गत दिवस दिल्ली के ली मेरिडियन में लीवरेजिंग लॉक डाउन लर्निंग विषय पर आयोजित वार्षिक कॉन्क्लेव 2021 में आईएमएस गाजियाबाद को मजबूत उद्योग कनेक्ट के साथ भारत में सर्वश्रेष्ठ संस्थान का पुरस्कार मिला है। इतना ही नहीं व्यक्तिगत श्रेणी के तहत आईएमएस गाजियाबाद की निदेशिका डॉ. उर्वशी मक्कड़ को एकेडमिक लीडर आॅफ द ईयर फोर इनोवेटिव प्रेक्टिसिस के सम्मान से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार प्रो. के.के. अग्रवाल, अध्यक्ष-एनबीए, नई दिल्ली, समीर कुमार, प्रमुख, प्रसार भारती न्यूज सर्विसेज एंड डिजिटल प्लेटफॉर्म और डॉ. रिजवी, उपाध्यक्ष एफडब्ल्यूए द्वारा प्रदान किया गया।
कार्यक्रम की थीम लीवरेजिंग लॉक डाउन लर्निंग के अर्न्तगत आईएमएस की निदेशिका डॉ. उर्वशी मक्कड़ ने लॉकडाउन के कारण उत्पन्न स्थितियों के सन्दर्भ में बिल्ट टू लास्ट तथा बिल्ट टू एडोप्ट की अवधारण से बाहर निकलने की जरूरत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के माध्यम से पूरी दुनिया को वर्तमान परिस्थितियों की आवश्यकता अनुरूप कार्य करने के लिए नई दिशा प्रदान की। डा. उर्वशी मक्कड़ ने इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के उस सम्बोधन को भी ताजा किया जिसमें उन्होंने पूछा था कि भविष्य के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए एक शिक्षक को क्या करना चाहिए। उन्होंने अपने ज्ञान को साझा किया कि शिक्षक को छात्रों को बड़े सपने देखने की प्रेरणा देनी चाहिए। डॉ. उर्वशी मक्कड़ ने साझा किया कि उन्होंने अपने पूरे करियर में इसका पालन किया है और इस ज्ञान ने पिछले दो दशकों में युवा दिमाग को पोषित करने में मदद की है।
कार्यक्रम में 50 से अधिक कुलपतियों, निदेशकों, वरिष्ठ शिक्षाविदों और मीडिया के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भाग लिया और भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में चुनौतियों और अवसरों पर अपने विचार रखे।
बता दें कि आईएमएस गाजियाबाद के छात्रों ने छात्र समन्वयक के रूप में कॉन्क्लेव में आयोजन समिति में भाग लिया, यह कार्यक्रम एफडब्ल्यूए द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें आईएमएस, गाजियाबाद इस आयोजन का प्रस्तुतकर्ता भागीदार था। यह एक ऐसा मंच है जहां शिक्षा पोस्ट के सहयोग से सार्क अकादमिक नेताओं के साथ-साथ उद्योग जगत के नेताओं के बीच उच्च शिक्षा अकादमिक चुनौतियों पर चर्चा की जाती है।