- वैचारिक क्रांति,सांस्कृतिक चेतना व राष्ट्रीयता के प्रचारक थे ‘दिनकर’: अनिल आर्य
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 113 वीं जयंती पर आनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि दिनकर का जन्म बिहार के बेगूसराय में 23 सितम्बर 1908 को हुआ था। वह तीन बार राज्य सभा के सदस्य रहे, उन्हें पदमविभूषण से सम्मानित किया गया व 1999 में सम्मानार्थ भारत सरकार द्वारा डाक टिकट भी जारी किया गया ।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि ओजस्विता, राष्ट्रीयता, वैचारिक प्रखरता और सांस्कृतिक चेतना के आधार स्तम्भ थे रामधारी सिंह दिनकर। स्वतंत्रता पूर्व उन्हें विद्रोही कवि की उपमा दी गई । ओज, वीर रस व राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत अपनी कविताओं से दिनकर ने राष्ट्रीयता की भावना जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया था। उन्होंने आर्य समाज के लिए कहा था कि आर्य समाज ने आर्यावर्त के साधारण से भी साधारण जनमानस को भी अपनी ओर आकर्षित किया है। उनकी कालजयी कविताएं साहित्य प्रेमियों को ही नहीं अपितु समस्त देशवासियों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी। आज की कविता श्रंगार रस व चापलूसी की कविता बनती जा रही हैं, उनके लिये दिनकर जी प्रेरणा का स्रोत्र हो सकते हैं। आज के कवियों को दिनकर से प्रेरणा लेकर राष्ट्र व आम जन के लिए लिखना चाहिए और स्वाभिमानी रहना चाहिए।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने अपनी ओजस्वी रचनाओं से राष्ट्रीय चेतना का सृजन किया। उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके द्वारा रचित कविताओं व उनके कार्यों को स्मरण करना चाहिए। गायिका प्रवीन आर्या, रजनी गर्ग, रजनी चुघ, प्रवीना ठक्कर वीना वोहरा, प्रतिभा कटारिया, दीप्ति सपरा आदि ने गीत सुनाये। डॉ. नरेन्द्र आहूजा विवेक, ओम सपरा, राजेश मेहंदीरत्ता, महेन्द्र भाई, देवेन्द्र भगत ने भी अपने विचार रखे।