नई दिल्ली। काबुल पर तालिबानी कब्जा होने के बाद और अमेरिका के प्रेसीडेंट जो बाइडन ने रात एक बजकर 15 मिनट पर देश के नाम संबोधन दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अमेरिकी फौज की वापसी का फैसला बिल्कुल सही था। उन्होंने कहा कि वे ऐसे हालात थे जिसे करना बेहद जरूरी था। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के फौजियों व वहां के नेताओं ने तालिबानियों से लड़े बिना ही हथियार डाल दिए, ऐसे में अमेरिका सेना को वापस बुलाना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह सही है कि वर्तमान में अफगानिस्तान के हालात बहुत खराब हैं। लेकिन इन सबके लिए अफगानिस्तान के प्रेसीडेंट अशरफ गनी हैं। जो भी आज काबुल की स्थिति है उसके लिए गनी ही जिम्मेदार हैं। पूरी दुनिया को हक है कि उनसे वह सवाल पूछे। अमेरिका सेना ने अफगानिस्तान में बहुत बड़ा खतरा उठाया है। अब अमेरिका के सैनिकों को वे खतरे में नहीं डाल सकते हैं। अमेरिका ने अफगानिस्तान के लिए क्या कुछ नहीं किया। अमेरिका ने अफगानिस्तान के सैनिकों को बेहतर प्रशिक्षण दिया, अत्याधुनिक हथियार दिए लेकिन जब वक्त पड़ा तो वे उन्होंने हथियार डाल दिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अल कायदा को नेतानाबूद किया। ओसामा बिन लादेन का खात्मा किया गया। 11 सितंबर 2001 की घटना ने अमेरिका को जो सबक दिया उसको लेकर ही अफगानिस्तान को अमेरिका ने मजबूत किया ताकि तालिबानी अमेरिका पर हमले के लिए अफगानिस्तान की जमीन का प्रयोग न कर सकें, लेकिन बीस वर्षों की मेहनत पर पानी फिर गया। उन्होंने कहा कि आज के हालात बताते हैं कि अब आतंकवाद के खतरे का आकार विशालकाय होता जा रहा है। आतंकवाद अब तो अफगानिस्तान से भी आगे निकल गया है। उन्होंने कहा कि हमेशा से उनकी राय रही है कि अफगानिस्तान में अमेरिका की भूमिका आतंकवाद से लड़ने पर होनी चाहिए। अमेरिका ने कई अन्य देशों में आतंकवाद के खिलाफ अपने अभियान चलाए हैं।