गाजियाबाद। अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित काव्योत्सव की अध्यक्षता करते हुए चर्चित कवि प्रो. हेमंत कुकरेती ने कहा कि हिंदी कविता नए-नए प्रयोगों के साथ निरंतर आगे बढ़ रही है। राजनगर स्थित आॅरनेट पैलेस में संपन्न हुए इस भव्य आयोजन में उन्होंने अमर भारती संस्थान को कविता की अच्छी प्रयोगशाला के रूप में चिह्नित किया। प्रोफेसर कुकरेती ने कहा कि समाज एक गतिशील घटना है। इसमें रोज ज्ञान-विज्ञान के नए पृष्ठ जुड़ते जाते हैं। कविता सदैव ही जीवन को समग्रता में देखने और अभिव्यक्त करने का प्रयास करती है। इस अवसर पर उन्होंने अपनी कई चर्चित कविताओं का पाठ किया। उनमें से सिलबट्टा कविता में भारतीय परंपरा की छलक देखी जा सकती है, मैं कविता कवि के आत्मकथ्य को यथार्थता के साथ सबके सामने लाती है। कविता का पाठ करते हुए उन्होंने कहा-मैं पृथ्वी का अटूट धैर्य हूँ, और आकाश की अतल चुप्पी पानी से भी ज्यादा पतले मेरे दुख काटते रहते हैं मुझे, आग की तरह लपकता हूँ सुखों की तरफ, फिर भी हवा जैसे व्यापक हैं मेरे डर…कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध भाषा विज्ञानी एवं कवयित्री मधु बी जोशी ने शब्दों के सही प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि आज लोग मनमाने तरीके से भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।शब्दों के अर्थ बदल रहे हैं। शहर के मध्य से गुजर रही हिंडन नदी के प्रदूषण से व्यथित होते हुए उन्होंने आधी सदी पहले के परिदृश्य पर अपनी कई कविताओं का पाठ किया।जिन्हें उपस्थित श्रोताओं ने खूब सराहा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मशहूर चित्रकार डॉ. लाल रत्नाकर ने गाजिÞयाबाद शहर में कला-साहित्य से जुड़े कार्यक्रमों के लिए कोई उपयुक्त स्थान न होने पर अफसोस जाहिर किया। उन्होंने कहा कि जीडीए ने हिंदी भवन को प्राइवेट हाथों में सौंप कर उसका व्यवसायीकरण कर दिया है। अब अगर किसी साहित्यिक संस्था को वहाँ कार्यक्रम करना है तो उसे भारी-भरकम रकम अदा करनी पड़ती है। इतना ही नहीं गाजियाबाद नगर निगम द्वारा नवनिर्मित पंडित दीन दयाल उपाध्याय सभागार का प्रबंधन भी प्राइवेट हाथों के सुपुर्द कर दिया गया है। उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि हम सब लोगों को इस तरह की नीतियों का विरोध करना चाहिए।
इस अवसर पर कवि प्रवीण कुमार के कविता संग्रह नियंता नहीं हो तुम,गीतकार रमेश कुमार भदौरिया के गीत संग्रह गीत तुम्हीं संगीत तुम्हीं और परिंदे पत्रिका के दिसम्बर अंक का विमोचन भी किया गया। काव्य पाठ करने वाले प्रमुख कवियों में डॉ योगेन्द्र दत्त शर्मा, वेद शर्मा वेद, श्रीविलास सिंह, विपिन जैन, रमेश कुमार भदौरिया, अंजुम कृष्ण, प्रवीण कुमार, डॉ नीरज कुमार मिश्र, अरविंद पथिक, सुभाष अखिल, कमलेश त्रिवेदी फर्रूखाबादी, दिनेश दत्त शर्मा, पीयूष यादव, सैय्यद अली मेंहदी, सरिता शर्मा, प्रांजलि शिवहरे, अनुराग भारद्वाज शामिल रहे। कार्यक्रम में कथाकार राज कमल, रविंद्रकांत त्यागी समाजसेवी प्रशांत चौधरी, मंजीत चौधरी, श्वेता त्यागी, अरुण कुमार, पत्रकार अमरेन्द्र राय, छायाकार कुलदीप, वरिष्ठ अधिवक्ता के पी सिंह व वागीश शर्मा, परिंदे पत्रिका के कार्यकारी संपादक ठाकुर प्रसाद चौबे के साथ-साथ मीनू कुमार, गरिमा कुमार, कुमार आर्यन, हिमानी कश्यप, राम कुमार भल्ला, सुनीता शर्मा जैसे सुधी श्रोता उपस्थित रहे।