- अमित शाह व योगी वाराणसी में काशी तमिल संगम के समापन समारोह में हुए सम्मिलित
- पुस्तक मोदी/20 के तमिल अनुवाद का किया विमोचन
- देश की आजादी के अमृतकाल में प्रधानमंत्री ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण का कार्य किया
- एक भारत श्रेष्ठ भारत की रचना करने का अब समय आ गया, यह कार्य भारत की सांस्कृतिक एकता से ही हो सकता
- काशी तमिल संगम ने काशी में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार किया: मुख्यमंत्री
- काशी तमिल संगम के लिए काशी को चुना जाना उ.प्र. के लिए बड़ी बात
- उ.प्र. भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता
- उ.प्र. एवं तमिलनाडु में अनेक समानताएं, दोनों राज्य एमएसएमई के सबसे बड़े केन्द्र
लखनऊ। उत्तर व दक्षिण के रिश्ते की प्रगाढ़ता के लिए 17 नवम्बर, 2022 से जनपद वाराणसी में आयोजित काशी तमिल संगम का संकल्पों के साथ समापन हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोगों को एक भारत श्रेष्ठ भारत का संदेश दिया। कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने भी सम्बोधित किया। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने काशी तमिल संगम के एक माह तक के आयोजन को अलौकिक बताते हुए कहा कि यह भारत की दो महान सांस्कृतिक धरोहरों का अद्भुत संगम है। प्रधानमंत्री के काशी तमिल संगम की कल्पना की पूणार्हुति होने जा रही है। हालांकि ये पूणार्हुति नहीं है। यह भारतीय संस्कृति के दो उत्तुंग शिखर-तमिलनाडु की संस्कृति, दर्शन, भाषा, कला व ज्ञान तथा विश्व में जिसकी मान्यता है, ऐसी काशी की सांस्कृतिक विरासत के मिलन की शुरूआत है। लम्बे समय से हमारे देश की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास नहीं हुआ था। सदियों बाद, प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में ह्यकाशी तमिल संगमम्ह्ण के माध्यम से यह प्रयास किया गया है। यह प्रयास पूरे देश की भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ने का सफल प्रयास सिद्ध होगा।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि गुलामी के एक लम्बे कालखंड में हमारी संस्कृति और विरासत को मलिन करने का प्रयास किया गया था। यह आनंद का विषय है कि देश की आजादी के अमृतकाल में प्रधानमंत्री ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण का कार्य किया है। भारत अनेक संस्कृतियों, भाषाओं, बोलियों और कलाओं से बना देश है। इन सबके बीच में बारीकी से देखें तो उसकी आत्मा एक है और वह भारत की आत्मा है। दुनिया के अन्य देश जिओ-पॉलिटिकल कारणों से बने हैं, परन्तु भारत एक मात्र ऐसा देश है, जो संस्कृति के आधार पर बना है। हमारा देश जिओ-कल्चर देश है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद एक समय ऐसा आया, जब देश की सांस्कृतिक एकता में जहर घोलने का प्रयास किया गया। लेकिन एक भारत, श्रेष्ठ भारत की रचना करने का अब समय आ गया है, और यह कार्य भारत की सांस्कृतिक एकता से ही हो सकता है। उन्होंने काशीवासियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि तमिलनाडु से आए हुए सभी भाई-बहनों का काशीवासियों ने मन से स्वागत किया है। तमिलनाडु वाले काशी को कभी भूल नहीं सकते।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वणक्कम काशी व हर-हर महादेव के उद्घोष से लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से तमिल कार्तिक मास में काशी तमिल संगम का शुभारम्भ पवित्र काशी की भूमि में हुआ। काशी तमिल संगम ने काशी में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आयोजन के लिए काशी को चुना जाना उत्तर प्रदेश के लिए बड़ी बात है। इस आयोजन में जिस तरह से काशीवासियों ने सहभागिता किया वह प्रशंसनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी भारत की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक राजधानी के साथ-साथ कला व संस्कृति का केन्द्र बिन्दु रही है। उत्तर प्रदेश भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है और तमिलनाडु भी इन सभी समानताओं को लेकर कला, संस्कृति, ज्ञान की उस प्राचीनतम परम्पराओं का निर्वहन करता है। इन दोनों परम्पराओं का काशी तमिल संगम के माध्यम से अद्भुत संयोग, एक नए संगम का निर्माण करता है। जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक समूहों में आकर वहां के लोगों ने सभ्यता एवं संस्कृति की दृष्टि से प्रधानमंत्री की परिकल्पना एक भारत श्रेष्ठ भारत को देखा है। उत्तर प्रदेश एवं तमिलनाडु में काफी समानताएं हैं। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश एवं तमिलनाडु में अनेक समानताएं हैं। देश में दोनों राज्य एमएसएमई के सबसे बड़े केन्द्र भी हैं। विगत 8 वर्षों में काशी के अनेक उत्पादों को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली तथा जीआई टैग प्राप्त हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संयोग है कि काशी प्राचीन काल से भगवान विश्वनाथ के पावन धाम के रूप में विख्यात है और भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम का पवित्र ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में है। इन दोनों पवित्र ज्योतिर्लिंगों के समन्वय के साथ-साथ दोनों राज्य भारत की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने परम्परागत उद्यम को प्रोत्साहित कर रहे हैं। महाकवि सुब्रमण्यम भारती ने तमिलनाडु से आकर काशी की पवित्र धरती पर ज्ञान व साहित्य की समृद्ध परम्परा विकसित की थी। प्रदेश सरकार, भारत सरकार के साथ मिलकर सुब्रमण्यम भारती की पवित्र परम्परा व उनके कार्यों को भव्य स्वरूप देने में अपना योगदान देगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो शुरूआत पवित्र कार्तिक मास में काशी तमिल संगम के माध्यम से हुई है, यह परम्पराएं निरन्तर आगे बढ़ती रहनी चाहिए। उन्होंने काशी-तमिल संगम में तमिलनाडु से आए लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि तमिलनाडु के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों को काशी आने के लिए प्रेरित करें।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने पुस्तक मोदी/20 के तमिल अनुवाद का विमोचन किया।
कार्यक्रम में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी.किशन रेड्डी, केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डा. एल मुरुगन सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
ज्ञातव्य है कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को कायम रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 नवम्बर, 2022 को काशी-तमिल संगम का शुभारम्भ किया था। काशी-तमिल संगम का आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत की गई एक पहल है। शिक्षा के 02 केन्द्रों आईआईटी मद्रास व बीएचयू ने मिलकर इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की। शिक्षा मंत्रालय ने नोडल एजेंसी के रूप में कार्य किया। काशी तमिल संगम का उद्देश्य काशी व तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने संबंधों को पुनर्जीवित करना है। तमिलनाडु के शास्त्रीय व लोक कलाकारों, साहित्यकारों, उद्यमियों, किसानों, धर्मगुरुओं, खिलाड़ियों आदि के समूहों ने काशी तमिल संगम में भाग लिया। इस प्रकार ढाई हजार से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। तमिलनाडु से आए इन समूहों ने काशी के अलावा प्रयागराज और अयोध्या का भी भ्रमण किया। काशी तमिल संगम में उत्तर और दक्षिण के लोगों के बीच शिक्षा, कला और संस्कृति, साहित्य, खेल इत्यादि क्षेत्र के विभिन्न कार्यक्रमों के अलावा कला, फिल्म, हथकरघा और हस्तशिल्प आदि की प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया।