- संजय नगर व नेहरू नगर अस्पताल के चिकित्सकों ने 2 माह के बच्चे का दुर्लभ कैंसर की बीमारी की सर्जरी की
गाजियाबाद। कैंसर के इलाज में यशोदा कैंसर अस्पताल संजय नगर व नेहरू नगर के चिकित्सकों ने दो माह के कैंसर से ग्रस्त बच्चे की सर्जरी कर उसे नया जीवनदान दिया है। दुर्लभ कैंसर के इस तरह के तरीज दुनिया में कम ही मिलते हैं, लेकिन दोनों अस्पतालों के चिकित्सकों ने सफल सर्जरी की और बच्चे को मौत के मुंह से निकाल लिया।
इस सफल सर्जरी की बाबत नेहरुनगर स्थित यशोदा अस्पताल में प्रेस कान्फ्रेंस की गई और पूरी जानकारी साझा मीडिया से की गई। मीडिया को बताया कि एक 2 महीने के बच्चा जबड़े का ट्यूमर लेकर अस्पताल में आया। यशोदा अस्पताल आने से पूर्व बच्चे के तीमारदार इसे एम्स दिल्ली ले गए थे जहां इन्हें काफी बाद का समय मिला था जिसके कारण परिवार वाले काफी परेशान थे। आगरा के मूल निवासी बच्चे के पिता यूपी पुलिस में कार्यरत हैं। आगरा के ही किसी वरिष्ठ चिकित्सक ने इन्हें यशोदा अस्पताल के कैंसर सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. (ब्रिगेडियर) ए.के त्यागी से मिलने को कहा। बता दें कि डा. (ब्रिगेडियर) ए.के त्यागी यशोदा से पूर्व एएफएमसी पुणे में कैंसर विभाग में प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष रह चुके हैं। डा. त्यागी आर्मी अस्पताल आर एंड आर में भी मालिग्नेंट डिसीज के एचओडी रह चुके हैं।
डा. त्यागी ने बच्चे की बीमारी व उसकी स्तिथि को देखते हुए तुरंत ही बॉयोप्सी करने का सुझाव दिया जिसकी रिपोर्टिंग डा. (ब्रिगेडियर) अजय मलिक एचओडी यशोदा पैथोलॉजी लैब ने मरीज की गंभीरता को देखते हुए शीघ्रतापूर्वक एक ही दिन में रिपोर्ट तैयार की। उस रिपोर्ट में जो कैंसर की बीमारी सामने आई उसका नामmelatonic neuro-ectodermal tumour of infancy था जो विश्व के दुर्लभ बीमारियों (Rare Disease) में से एक है जो करोड़ों बच्चों में से एक को होता है। मेडिकल रिकार्ड्स के अनुसार पिछले 100 वर्षों में पूरे विश्व में कुल 500 केसेस ही सामने आए हैं। इस बीमारी में कैंसर की पूरे शरीर में फैलने की तीव्रता काफी तेज होती है और थोड़े भी विलंभ से यह बीमारी आपरेशन के लायक नही रह जाती है।
बीमारी का पता चलते ही अस्पताल में ट्यूमर बोर्ड का गठन किया गया जिसमें डा. (ब्रिगेडियर) ए.के त्यागी, डा. (कर्नल) चक्रवर्ती HOD-रेडिएशन आन्कोलॉजी, डा. (मेजर जनरल) बीएन कपूर HOD-मेडिकल आन्कोलॉजी, डा. (कर्नल) परवाज आलम HOD प्लास्टिक व रिकंस्ट्रुक्टिव सर्जरी, डा. (ब्रिगेडियर) अजय मलिक HOD-यशोदा लैब, डॉ (मेजर जनरल) नवदीप सेठी HOD-पेडियेट्रिक अनेस्थेसिया व डा. (मेजर) सचिन दुबे वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ शामिल थे जिसमें यह फैसला लिया गया कि बच्चे के जबड़े का वो हिस्सा जो कैंसर से प्रभावित है उससे आपरेशन से निकाला जायेगा।
इस सर्जरी के उपरान्त दूसरी बड़ी चैलेंज यह थी कि बच्चे के निकाले हुए जबड़े का पुनर्निर्माण करना जिससे बच्चा नार्मल जिंदगी जी सके। इस जटिल सर्जरी को करने के लिए डा. (कर्नल) परवाज आलम HOD-प्लास्टिक व रिकंस्ट्रुक्टिव सर्जरी, यशोदा अस्पताल ने अपना पुर्ण योगदान दिया तथा उन्होंने Autologous Costocondrial Reconstruction अर्थात पसली से नए जबड़े का निर्माण किया। इस आपेरशन में एक और महत्वपूर्ण योगदान डा. (मेजर जनरल) नवदीप सेठी HOD-पेडियेट्रिक अनेस्थेसिया ने दिया क्योंकि इतने कम उम्र के बच्चे को अनेस्थेसिया देना भी एक कठिन कार्य है। डा. (ब्रिगेडियर) ए के त्यागी के नेतृत्व में यह जटिल सर्जरी लगभग 5 घंटे चलने के उपरांत सम्पन हुई। आपरेशन के पश्चात पोस्ट ओपरेटिव केअर के लिए बच्चे को डा. (मेजर) सचिन दुबे वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ के संरक्षण में ढकउव में अगले 5 दिनों के लिए रखा गया। पांचवें दिन बच्चे को दूध पीने की स्तिथि में अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
यशोदा अस्पताल के प्रबंध निदेशक डा. रजत अरोरा ने डा. (ब्रिगेडियर) ए के त्यागी व समस्त वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम को इस जटिल कैंसर सर्जरी को सफलतापूर्वक संपन्न करने पर ढेर सारी बधाइयां दी। उन्होंने बताया कि उनकी यह उद्देश्य है कि पूरे उत्तरप्रदेश व समीपवर्ती राज्यों के किसी भी मरीज को इलाज के लिए दिल्ली की ओर रुख न करना पड़े। उन्होंने आश्वस्त किया कि यशोदा उन्नत चिकित्सा प्रदान करने के लिए जनता के प्रति कटिबद्ध है।