- शिशु के लिए टीके का काम करता है मां का पहला गाढ़ा और पीला दूध
- छह माह तक मां के दूध से मिलता है संपूर्ण पोषण, पानी की भी जरूरत नहीं
गाजियाबाद। जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) शशि वार्ष्णेय ने बताया प्रदेश सरकार के आदेश पर जनपद में पोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत वि?विध गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी संकेतकों में सुधार के लिए विभिन्न विभागों से समन्वय करके समे?कित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) की ओर से यह गतिविधियां संचालित की जा रही हैं, जिसमें से एक आवश्यक संकेतक ह्लछह माह तक के शिशुओं को केवल स्तनपान सुनिश्चित करानाह्व है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कहा मां का दूध शिशु के लिए अमृत समान होता है तथा शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आवश्यक है कि जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु को स्तनपान प्रारम्भ करा दिया जाए। मां का पहला गाढ़ा और पीला दूध कुदरती टीके काम करते हुए तमाम बीमारियों से शिशु की रक्षा करता है। छह माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराना ही पर्याप्त होता, अलग से पानी देने की जरूरत नहीं होती। मां के दूध से ही शिशु अपने लिए पर्याप्त पानी भी ग्रहण कर लेता है। इसके साथ ही उसका पोषण भी पूरा हो जाता है।
उन्होंने बताया-गर्मी में शिशुओं में केवल स्तनपान संबंधी व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए 10 मई से 30 जून, 2022 तक समस्त कन्वर्जेस विभागों (बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, पंचायती राज विभाग, बेसिक शिक्षा एवं खाद्य एवं रसद विभाग जनप्रतिनिधियों तथा डेवलपमेंट पार्टनर्स के सहयोग से ह्लपानी नहीं केवल स्तनपानह्व अभियान (नो वाटर ओनल ब्रेस्ट फीडिंग) आयोजित किया जा रहा है, जिससे केवल स्तनपान की दर में वृद्धि होने के अपेक्षित परिणाम प्राप्त होने तथा शिशु मृत्यु दर में भी सुधार लाया जा सकेगा।
जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. संगीता गोयल का कहना है कि मां का पहला गाढ़ा और पीला दूध शिशु को अवश्य पिलाएं। कुछ लोग नवजात शिशु को शहद या फिर घुट्टी देने का प्रयास करते हैं, लेकिन वह सब गलत है। शिशु के लिए मां का दूध अमृत समान है और छह माह तक शिशु को मां के दूध के अलावा कुछ भी देने की जरूरत नहीं होती। छह माह के बाद ही शिशु को मां के दूध के साथ अर्द्धठोस भोजन देना शुरू करना चाहिए।