लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के हर घर को शुद्ध पेयजल सुलभ कराने के लिए 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी, उनके विजन को आगे बढ़ाना हम सभी का दायित्व है। इसके दृष्टिगत प्रथम चरण में प्रदेश के बुन्देलखण्ड-विन्ध्य क्षेत्र में जल जीवन मिशन को लागू किया गया। इस क्षेत्र में लोगों को पाइप से शुद्ध पेयजल मिलना प्रारम्भ हो गया है। लोगों में इसका सकारात्मक भाव है। उन्होंने कहा कि मार्च, 2024 तक प्रदेश के प्रत्येक राजस्व ग्राम तक हर घर में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के प्रभावी प्रयास किये जाएं।
मुख्यमंत्री यहां अपने सरकारी आवास पर केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, गोबरधन योजना, नमामि गंगे परियोजना, अटल भूजल योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई परियोजना, केन बेतवा लिंक परियोजना सहित विभिन्न परियोजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश के 23 हजार से अधिक गांवों में जहां हर घर नल का कार्य प्रगति पर है, उन्हें आगामी 6 माह के अन्दर पूरा किया जाए। जिन 18,629 ऐसे गांवों जहां हर घर नल योजना की डीपीआर तैयार है, उनकी एसएलएसएससी की स्वीकृति की प्रक्रिया प्रत्येक दशा में अगले एक माह में पूरी कर ली जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल-हर घर जल के संकल्प के साथ प्रदेश के 2.64 करोड़ घरों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाना है। विगत 5 वर्ष में प्रदेश में 2 करोड़ 51 लाख से अधिक जनसंख्या को शुद्ध पेयजल की सुविधा प्रदान की गयी है। 36 लाख से अधिक घरों में पाइप पेयजल नल के कनेक्शन लगाये गये हैं। केवल बुन्देलखंड क्षेत्र तथा विन्ध्य क्षेत्र में ही 18.67 लाख घरों को पाइप पेयजल से जोड़ा गया है। शेष घरों को भी पाइप पेयजल की सुविधा मिलने लगेगी। इस कार्य को समयबद्धता के साथ चरणबद्ध रूप से पूरा किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार मिलकर जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, गोबरधन योजना, नमामि गंगे, अटल भूजल योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई, केन बेतवा लिंक आदि परियोजनाओं का कार्य समयबद्ध व गुणवत्तापूर्ण ढंग से करेगी। उन्होंने आश्वस्त किया कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन में राज्य सरकार, केन्द्र सरकार को पूरा सहयोग प्रदान करेगी। उन्होंने कृषि उत्पादन आयुक्त को योजनाओं की साप्ताहिक समीक्षा करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने स्थलीय निरीक्षण की व्यवस्था को और सुदृढ़ करने पर बल देते हुए कहा कि सभी कार्य पूरी शुचिता और पारदर्शिता के साथ सम्पादित किए जाएं। शुचिता और पारदर्शिता के दृष्टिगत सुनिश्चित किया जाए कि विकास परियोजनाओं के लिए डीपीआर तैयार करने वाली संस्था परियोजना के निर्माण अथवा क्रियान्वयन आदि के लिए होने वाली टेंडर की प्रक्रिया में भाग न ले। इस व्यवस्था को कड़ाई से लागू किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन से पूर्णत: संतृप्त गांवों का पूरी पारदर्शिता के साथ सत्यापन कराया जाना चाहिए। जब गांव के हर घर में नल से जल आना प्रारम्भ हो जाए, पानी पर्याप्त और गुणवत्तापरक हो, तब वहां ग्राम पंचायत की बैठक आयोजित कर लाभान्वित लोगों की संतुष्टि का स्तर आंका जाए। इसकी वीडियोग्राफी भी करायी जाए। अगर एक भी उपभोक्ता असंतुष्ट है तो उनकी अपेक्षाओं को पूरा किया जाए। वॉटर टेस्टिंग के कार्य से स्थानीय जल समितियों को जोड़ा जाए। महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित कर उन्हें भी इस कार्य में शामिल किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्सेनिक, फ्लोराइड, खारापन, नाइट्रेट, आयरन आदि के कारण गुणवत्ता प्रभावित जल वाले क्षेत्रों के सुधार के लिए जल जीवन मिशन के अन्तर्गत विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इस सम्बन्ध में भारत सरकार अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इन क्षेत्रों में कार्य तेज किए जाने की जरूरत है। जल जीवन मिशन के लिए विलेज एक्शन प्लान, ग्राम पंचायत के बजाय राजस्व ग्राम के स्तर पर बनाया जाए। सभी 97 हजार राजस्व गांवों में इस कार्य को तेजी से पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन और नमामि गंगे परियोजना के कार्यों का जिलाधिकारी स्तर पर सतत अनुश्रवण किया जाए। यथाशीघ्र राज्य स्तर पर प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) नियुक्त किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश खुले में शौच से मुक्त हो चुका है। अब हम ओडीएफ प्लस की ओर अग्रसर हैं। इस कार्य को तय लक्ष्य के सापेक्ष समयबद्ध ढंग से पूरा किया जाए। हर ग्राम पंचायत में न्यूनतम एक सामुदायिक शौचालय कॉम्प्लेक्स के निर्माण का संकल्प पूरा होने की ओर है। सतत प्रयासों से प्रदेश की 58,289 ग्राम पंचायतों में से 57,266 में सामुदायिक शौचालय बन चुके हैं। स्थानीय ग्रामीण महिला को ही इनका केयरटेकर भी नियुक्त किया गया है। कॉम्प्लेक्स के प्रबन्धन व रख-रखाव के लिए 3,000 रुपये और केयरटेकर को 6,000 रुपये मासिक भुगतान भी किया जा रहा है। इस प्रयास से ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को काफी सुविधा मिली है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का ही परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश के खेतों में सिंचाई की सुविधा में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। बाणसागर, सरयू नहर, अर्जुन सहायक जैसी परियोजनाओं ने किसानों को बड़ी राहत दी है। खेत तक पानी पहुंचाने के लिए कुलाबे की जगह पी0वी0सी0 पाइप के प्रयोग पर विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की अटल भूजल योजना को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जनपदों को भी इस योजना से जोड़ा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में इस योजना के अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। उन्होंने कहा कि भूजल संरक्षण के लिए जनसहभागिता बहुत जरूरी है। इस अभियान से अधिकाधिक लोगों को जोड़ने के प्रयास हों।
इस अवसर पर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, पंचायती राज मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी, जल शक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक, रामकेश निषाद, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, केन्द्रीय जल शक्ति सचिव विनी महाजन, प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल, प्रमुख सचिव ग्रामीण जलापूर्ति एवं नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग, केन्द्रीय विशेष सचिव जल शक्ति अरुण बारोका, केन्द्रीय अतिरिक्त सचिव जल शक्ति देबाश्री मुखर्जी, डीजी नमामि गंगे मिशन जी. अशोक कुमार, सूचना निदेशक शिशिर, अपर सूचना निदेशकअंशुमान राम त्रिपाठी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।