गाजियाबाद। होली खेलें मगर सावधानी से। कहते हैं न कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। जी हां रंगों के इस पर्व में त्वचा का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। सबसे जरूरी आंखों का ख्याल रखना। बाजार में आमतौर पर मिलने वाले रंगों में कैमिकल की कुछ न कुछ मात्रा मिली होती है, यही कैमिकल हमारी त्वचा और आंखों के लिए परेशानी का सबब बन जाते हैं। प्रसिद्ध ईएनटी विशेषज्ञ डाक्टर ब्रजपाल तेवतिया का कहना है कि होली जरूर खेलें लेकिन इस बात का भी ख्याल रखें कि जो रंग आप प्रयोग कर रहे हैं या फिर जो रंग आपको लगाया जा रहा है वह त्वचा को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है। छोटे बच्चों का विशेष ख्याल रखें। छोटे बच्चों के कान का पर्दा व आंखें बेहद संवेदनशील होती हैं। छोटे बच्चे गुब्बारों में रंग व पानी भरकर एक दूसरे पर फेंकते हैं। गुब्बारा लगने से कभी-कभी बच्चे के कान व आंख को नुकसान भी पहुंच जाता है। इतना ही नहीं गुब्बारा फटने के बाद उससे निकले रंगों से बच्चों के बेहद नाजुक अंगों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। अगर रंग नाक में चला जाता है तो इससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। कैमिकलयुक्त रंग फेफड़ों के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। इसलिए रंगों से खेलते समय बार-बार मुंह को साफ पानी से धोएं, गले को साफ रखें और नाक को भी पानी से साफ करें।