- एसोचैम ने एक स्थाई कल के लिए आज लैंगिक समानता विषय पर किया सेमिनार आयोजित
- सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता मृदुला प्रधान ने महिलाओं को किया प्रोत्साहित
नई दिल्ली। स्थानीय द क्लेरिजस होटल के सीनेट लाउंज में मंगलवार को एसोचैम (एएसएसओसीएचओएम) द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता’ थीम आधारित परिचर्चा आयोजित की गई। जिसमें एसोचैम की सहायक महासचिव मीनाक्षी शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का संचालन मंजरी चन्द्र ने किया। वहीं, एसोचैम के राष्ट्रीय सशक्तिकरण परिषद की को-चेयर और यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की चेयरपर्सन उपासना अरोड़ा ने विषय प्रवेश करवाते हुए महिलाओं की विशेषता एवं महत्ता से अवगत कराया। जबकि मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, केंद्रीय आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के डायरेक्टर डॉ ईश्वर वी. बासव रेड्डी ने परिचर्चा सत्र को सम्बोधित करते हुए महिलाओं की समुचित दिनचर्या व उनके स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया। वहीं, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की धर्मपत्नी और सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता मृदुला प्रधान ने केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं के दूरगामी हितों के दृष्टिगत उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों और किये गए यादगार पहलों की चर्चा करते हुए महिलाओं को प्रोत्साहित किया। समारोह की शुरूआत के क्रम में एसोचैम की सहायक महासचिव सुश्री मीनाक्षी शर्मा ने समस्त आगंतुक अतिथियों को प्राणवायु बर्द्धक पौधा भेंट किया।
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी, गाजियाबाद की निदेशिका उपासना अरोड़ा ने कहा कि कोमल है कमजोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है, जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझसे हारी है। यह अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस दुनिया के लिए हम कौन हैं, इसका एक सौम्य अनुस्मारक है! उन्होंने आह्वान किया कि हम सभी सफल महिलाओं को कम से कम 20 महिलाओं को सफल बनाने हेतु अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए। क्योंकि आज वो जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि एक लड़की सृष्टि को आगे बढ़ाने में सबसे अधिक योगदान देती है। एक स्वस्थ परिवार, एक समृद्ध समाज और एक सम्भ्रांत देश की जड़ें एक स्वस्थ बालिका में ही निहित होती हैं। इसलिए हमें शुरू से ही बालिकाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और अच्छे भोजन की आदतों को सुनिश्चित करना चाहिए। उनके मानसिक स्वास्थ्य और सबसे बढ़कर एक स्वस्थ जीवन शैली पर सदैव ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें और स्वास्थ्य को सबसे ऊपर रखें। क्योंकि घर, व्यवसाय और जीवन चलाना तभी संभव है जब आपके पास सही मानसिकता हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ’ मिशन की सफलता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मैं महिलाओं और युवतियों सहित सभी से यही कहूंगी कि वो अपनी क्षमता को खुद पहचानें, खुद पर विश्वास करें, अपनी क्षमता को लगातार बढ़ाते रहें, खुद के सीखने की प्रक्रिया और शिक्षा को लगातार मजबूत करते रहे। अब स्त्री शक्ति शिक्षक है, चिकित्सक है, अभियंता है, हवाई जहाज की पायलेट है, इंडस्ट्रियलिस्ट है, सीए है। एक महिला, एक माँ, एक बहन, एक पत्नी, एक दोस्त, एक व्यवसायी, और भी बहुत कुछ के रूप में बहुत कुछ है। वह इसे समझे और आगे बढ़े।
इस अवसर पर फिलैंथरोपिस्ट, इंटरनेशनल फैशन डिजाइनर और सोशल वर्कर डा. संजना जॉन के द्वारा संचालित पैनल सत्र में डा. रश्मि सलूजा, सुश्री एलिन नंदी, डा. सुवर्षा खन्ना, डा. ब्लॉसम कोचर, पद्मश्री डा. डीएस राणा, डा. सुधीर कल्हण, राजदूत डा. अमरेंद्र खाटुआ, नीलिमा द्विवेदी, डा. सीखा शर्मा, अमित श्रीवास्तव, सुश्री नमिता चड्डा, डा. कनिका शर्मा, वरिजा बजाज, चंद्रशेखर सिब्बल, डा. अनुभा सिंह, डॉ. लतिका भल्ला, डा.रवि गौड़, डा. प्रीति नंदा सिब्बल, सुश्री वाणी माधव, सुश्री परिधि शर्मा, अनुराग अरोड़ा व निधि अरोड़ा ने महिलाओं के एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता की जरूरत पर जोर दिया और उनसे जुड़ी रोजमर्रा की बातों समेत उनके बेहतर भविष्य के लिए विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला।