चर्चा-ए-आमविचार

क्या चुनावी रैलियों से डर गया कोरोना!

कोविड-19 विश्व को डराने वाली सबसे बड़ी महामारी कोरोना जो कहा जा रहा है कि भारत में फिर से लौटकर अपने नए ‘स्ट्रेन’ के साथ आ रही है। भारत सरकार भी इस महामारी के दौबारा लौटने को देश के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बता रही है। हमारे प्रधानमंत्री कोरोना की इस तेज वापसी को लेकर काफी चिंतित लग रहे हैं। उन्होंने सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ ‘आॅनलाइन’ बातचीत कर इस खतरे से आगह किया है। जिस महामारी से पूरे विश्व का मानव सहमा हुआ है और भारत में भी जिसका दोबारा वापसी को लेकर हर देशवासी के दिल में एक डर सा बैठ गया है वहीं कोरोना हमारे राजनेताओं से, उनकी बड़ी-बड़ी रैलियों से, उनकी विशाल जनसभाओं से इतना डर गया है कि वो वहां एकत्रित होने वाली भीड़ के बीच जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। आज पश्चिमी बंगाल के चुनावी समर के पहले दौर में जनसंपर्क का आखिरी दिन है और वहां चल रहे महासंग्राम के इस अंतिम दिन 21 चुनावी रैलियां हो रही हैं। प्रथम चक्र के इस छोटे से क्षेत्र में इन 21 रैलियों का होना प्रमाणित करता है कि या तो हमारे राजनेताओं को कोरोना का कोई डर नहीं है या फिर कोरोना इन राजनेताओं की इन रैलियों से खुद इतना डर गया है कि उनमें जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। आज अंतिम दिन के इस चुनाव प्रचार में जो 21 जन रैलियां आयोजित की जा रही हैं, इनमें 17 रैलियां भाजपा की हैं और चार रैलियां टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी संबोधित कर रही हैं। इन 21 रैलियों में 25 लाख से अधिक लोग एकत्र हो सकते हैं, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। इसी तरह चाहे किसानों की रैलियां हों या फिर कुंभ जैसे विशाल मेले लग रहे हों, वहीं कोरोना महामारी जाने से डरती है क्योंकि विशाल संख्या के इन आयोजनों को राजनीतिक दलों का संरक्षण प्राप्त होता है। कई राज्यों में खेलने और ईद मिलने पर भी पाबंदियां लगा दी गई हैं। सार्वजनिक स्थलों पर पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगी है। कई शहरों में आप रात को बाहर नहीं निकल सकते, कई जगह लॉकडाउन भी घोषित कर दिया गया है क्योंकि देश में कोरोना की इस दोबारा वापसी का खतरा भयानक रूप ले सकता है लेकिन चुनावी सभाओं में बिना मास्क पहने लाखों लोगों की उपस्थिति पर हमारी व्यवस्था को कोई ऐतराज नहीं है। क्या कोरोना हमारे राजनेताओं के आगे बोना पड़ गया है या फिर हमारे राजनेता अपने स्वार्थों में जनहित और राष्टÑहित को जानबूझकर नजर अंदाज कर रहे हैं। 

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