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राष्ट्रीय लोक अदालत में सर्वाधिक वादों के निस्तारण में यूपी पहले नंबर पर

  • राज्यपाल, मुख्यमंत्री व इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कार्यवाहक
    मुख्य न्यायाधीश ने जनपद न्यायाधीशों-सचिवों को किया सम्मानित
  • न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका देश के ऐसे 3 स्तम्भ हैं,
    जिन पर कानून के राज की स्थापना का अत्यन्त महत्वपूर्ण दायित्व होता है: राज्यपाल
  • 10 जुलाई, 2021 को राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से 12 लाख से अधिक
    मुकदमों का निस्तारण त्वरित न्याय की संकल्पना को साकार करता है: मुख्यमंत्री
    लखनऊ।
    उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी ने गत दिवस राजभवन के गांधी सभागार में राष्ट्रीय लोक अदालत में सर्वाधिक वादों के निस्तारण में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जनपद न्यायाधीशों एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों को उनके उत्कृष्ट कार्यों हेतु सम्मानित किया। बता दें कि 10 जुलाई, 2021 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित लोक अदालत में सर्वाधिक वादों के निस्तारण में उत्तर प्रदेश राज्य को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है, जिसके उपलक्ष्य में इन जनपद न्यायाधीशों व सचिवों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में न्यायाधीशों का अभिनन्दन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका देश के ऐसे 3 स्तम्भ हैं, जिन पर कानून के राज की स्थापना का अत्यन्त महत्वपूर्ण दायित्व होता है। सामाजिक न्याय, समाज की व्यवस्था बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को उचित न्याय और कानूनी सहायता दिलाने के लिए राष्ट्रीय, राज्य, जनपद स्तर पर विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थापना की गई है। गरीब, अशिक्षित, पिछड़ों, वंचितों और शोषितों को कानूनी अधिकारों तथा न्याय दिलाने में विधिक सेवा प्राधिकरण मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि जिन न्यायाधीशों व सचिवों का सम्मान किया गया है, उन्होंने लोक अदालत के माध्यम से गरीब व वंचित लोगों को ज्यादा से ज्यादा न्याय देकर कीर्तिमान स्थापित किया है। उनके कार्य अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय हैं।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि 10 जुलाई, 2021 को राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से 12 लाख से अधिक मुकदमों का निस्तारण किया जाना त्वरित न्याय की संकल्पना को साकार करता है तथा आम जनता के प्रति संवेदनशीलता और जनकल्याण की भावना को प्रदर्शित करता है। यह सैद्धान्तिक और व्यावहारिक धरातल पर त्वरित न्याय का द्योतक है। 75 से 90 प्रतिशत विवाद थाना व तहसील स्तर से जुड़े हुए होते हैं, जिनका समयबद्ध निस्तारण न्याय और कानून व्यवस्था के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक माह 2 थाना दिवस व 2 तहसील दिवसों का निर्धारण किया गया है। इनके माध्यम से समस्याओं के त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं।
    वादों के निस्तारण के लिए न्यायाधीशों व न्यायिक अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि इस पहल से आम जनमानस में न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं व बालिकाओं से सम्बन्धित अपराधों के प्रति संवेदनशील है। इनसे सम्बन्धित आपराधिक घटनाओं पर तेजी से कार्यवाही करते हुए दोषियों को सजा दिलाने का कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि समय पर आम नागरिक को न्याय मिलना राज्य और व्यवस्था के हित में होता है। उन्होंने कहा कि गरीब, वंचित, पीड़ित व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के त्वरित न्याय मिलना चाहिए। इस दिशा में लोक अदालतें महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं। राष्ट्रीय एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा लोक अदालतों की संकल्पना को मूर्त रूप देने का प्रयास अनवरत जारी है।
    इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी ने कहा कि राज्य की प्रगति और विकास में न्यायिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण योगदान है। न्यायिक व्यवस्था में वादों का त्वरित निस्तारण न्याय हित में है। लोक अदालतों के माध्यम से न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव जितेन्द्र कुमार सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राधिकरण के कार्यों व गतिविधियों की जानकारी दी। प्राधिकरण के सदस्य सचिव अशोक जैन ने राष्ट्रीय स्तर पर प्राधिकरण के सम्बन्ध में अवगत कराया। प्राधिकरण के सचिव सुदीप कुमार जायसवाल ने सभी न्यायाधीशों एवं अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। जनपद न्यायाधीश (सामान्य निस्तारण) के अन्तर्गत जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोरखपुर दुर्ग नारायण सिंह, जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थनगर प्रमोद कुमार शर्मा तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश रायबरेली अब्दुल शाहिद को सम्मानित किया गया। जनपद न्यायाधीश/पीठासीन अधिकारी मोटर दुर्घटना प्रतितोष अधिकरण के तहत जनपद आगरा के राजेन्द्र प्रताप सिंह, जनपद अलीगढ़ के संजय सिंह तथा जनपद बरेली के मयंक चौहान को सम्मानित किया गया। जनपद न्यायाधीश /प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय के अन्तर्गत जनपद सिद्धार्थनगर के राजकुमार बंसल, जनपद मेरठ के इरफान कमर तथा जनपद गाजियाबाद की अनीता राज को सम्मानित किया गया। सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/सिविल जज (सीडी) एवं सचिव, उच्च न्यायालय विधिक सहायता समिति के तहत सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अलीगढ़ महेन्द्र कुमार, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बरेली सत्येन्द्र सिंह वर्मा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आगरा मुक्ता त्यागी, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोरखपुर देवेन्द्र कुमार, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायबरेली सुमित कुमार, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गाजियाबाद नेहा रूंगटा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मेरठ अंजू कम्बोज, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिद्धार्थनगर चन्द्रमणि, सचिव उच्च न्यायालय विधिक सेवा उप समिति लखनऊ पीठ लखनऊ डॉ. सत्यवान सिंह तथा सचिव उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति इलाहाबाद अशोक कुमार श्रीवास्तव को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विधायी एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी, उच्च न्यायालय विधिक सेवा उप समिति लखनऊ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा, मुख्य सचिव आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता, प्रमुख सचिव न्याय पीके श्रीवास्तव, महानिबन्धक उच्च न्यायालय आशीष गर्ग आदि मौजूद रहे।

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