हापुड़। एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) के तहत राष्ट्रीय पोषण माह (सितंबर) के दौरान जनपद में कुल 56482 बच्चों और 16572 गर्भवती व धात्री माताओं को पोषाहार (सप्लीमेंट्री न्यूट्रीशियन) दिया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी ज्ञानप्रकाश तिवारी ने बताया कि कोविड काल में, जब आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहे, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर पोषण की अलख जगाई। गर्भवती व धात्री माताओं के साथ-साथ छह वर्ष तक के बच्चों के माता-पिता की काउंसलिंग की गई और जरूरतमंदों को पोषाहार उपलब्ध कराया गया। काउंसलिंग के दौरान प्रसव के एक घंटे के भीतर स्तनपान के लाभ बताए गए और छह माह तक केवल स्तनपान कराने की सलाह दी गई। इसके साथ ही छह माह की आयु पूरी होने पर बच्चों को स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी अर्द्ध ठोस आहार देने की न केवल सलाह दी गई बल्कि उसे तैयार करना भी सिखाया गया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया जनपद में छह वर्ष तक के कुल 1.20 लाख बच्चे हैं। राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान छह माह से तीन वर्ष तक के 44512 और तीन से छह वर्ष तक के 11970 बच्चों को पोषाहार दिया गया है। उन्होंने बताया छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान कराया जाता है, यानि गर्भ से छह माह की आयु पूरी करने तक बच्चे का पोषण उसकी मां के पोषण पर ही निर्भर करता है। इसलिए बच्चे के बेहतर पोषण के लिए गर्भवती और धात्री माताओं को पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है।
उन्होंने बताया कि जनपद में 22359 गर्भवती और धात्री माताएं चिन्हित की गईं, इनमें से 16572 को सितंबर माह में पोषाहार उपलब्ध कराया गया। इसके साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर गर्भवती व धात्री माताओं के परिवारों की काउंसलिंग की और बताया कि गर्भवती के स्वास्थ्य का पूरे परिवार को एक बच्चे की तरह ही ख्याल रखना है। गर्भवती के पोषण में कमी होने का प्रभाव उसके होने वाले बच्चे पर पड़ता है। कई बार इसका परिणाम समय पूर्व प्रसव और प्रसव के समय बच्चे का वजन सामान्य से कम होने के रूप में सामने आता है। इसलिए गर्भवती को हरी सब्जियां, मौसमी फल और चिकित्सक की सलाह के मुताबिक आयरन की गोलियां नियमित रूप से खिलाते रहें।