चर्चा-ए-आम

कांवड़ यात्रा: ना नकुुर बदल सकती है हां में!

कमल सेखरी
इस साल कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के बीच नूरा कुश्ती शुरू हो गई है। जहां एक ओर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस बार की कांवड़ यात्रा के लिए कई तरह के विशेष प्रबंध कर रही है वहीं दूसरी ओर कोरोना महामारी का नाम लेकर उत्तराखंड सरकार अपने राज्य से गंगाजल ले जाने पर पाबंदी लगाने की बात कर रही है। हालांकि उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने पहले गंगाजल ले जाने पर अपनी सहमति व्यक्त कर दी थी लेकिन तीन दिन बाद ही उन्होंने अपनी इस सहमति को वापस लिया और उत्तराखंड से गंगाजल ले जाने पर पाबंदी लगा दी। उत्तराखंड सरकार की पाबंदी लगाए जाने की इस घोषणा के बाद भी योगी सरकार निरंतर कांवड़ सेवा के लिए अपनी सरकारी व्यवस्थाओं को तेजी से सुदृढ़ करने में लगी हुई है। आज भी गंगनहर के किनारे जो मार्ग शिवभक्तों के लिए अलग से बनाया गया है उस पर उत्तर प्रदेश सरकार सड़क के दोनोें किनारे पर घांस और झाड़ियों की कटाई-छंटाई करके रास्ते को सुगम बनाने में लगी है। कांवड़ मार्ग पर उत्तर प्रदेश की सीमा तक सड़क को गढ्डा मुक्त कर उस पर सौन्दर्यीेकरण का कार्य तेजी से किया जा रहा है। हालांकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने खुद से ही संज्ञान लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से कांवड़ यात्रा निकालने की अनुमति पर और उसमें हर तरह का सहयोग प्रदान करने पर कारण पूछा है। इस मामले की सुनवाई अब 16 जुलाई को होनी है लेकिन योगी सरकार का जो व्यवहार इस प्रकरण को लेकर नजर आ रहा है वह साफ दर्शाता है कि योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा निकलवाने की पूरी तरह से ठान ली है। वहीं दूसरी ओर ईद-उल-अजहा यानी बकरीद को लेकर योगी सरकार ने बहुत स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस मौके पर कोई सामुहिक आयोजन न किया जाए और त्योहार की रस्में लोग अपने-अपने घर पर ही पूरी करें। राजनीतिक समझ रखने वाले लोग इस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की सरकार और उत्तराखंड की भाजपा सरकार के बीच ये ना नकुर का नाटक केवल दिखावे के लिए किया जा रहा है, बकरीद का त्योहार निकल जाने के तुरंत बाद ही यदि सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में कोई कड़ा फैसला न लिया तो उत्तराखंड सरकार भी योगी सरकार के साथ अपनी सहमति मिलाते हुए गंगाजल ले जाने की अनुमति प्रदान कर सकती है। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर जहां एक ओर पूरा देश चिंतित है, प्रधानमंत्री सभी राज्य व विशेषज्ञों से इस संबंध में विशेष बैठकें कर रहे हैं वहीं कोरोना की तीसरी लहर की खतरनाक संभावना को देखते हुए माननीय न्यायालय ने भी सख्त रवैया अपना रखा है और देश की राजधानी दिल्ली के कुछ बाजारों को जहां लोग बेपरवाह हो बड़ी भीड़ में उमड़ रहे थे उन्हें बंद कराने के आदेश दिए हैं। हम सब जानते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर जो आई जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया उसे इतना प्रभावशाली बनाने में बंगाल के आम चुनाव, उत्तर प्रदेश के पंचायती चुनाव और हरिद्वार के कुंभ मेले की भूमिका अहम रही थी।

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