गाजियाबाद। केआईईटी ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के पीआर और अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग ने पतंजलि जापान फाउंडेशन के सहयोग से ‘जापान में कार्य के अवसर’ विषय पर एक सत्र का आयोजन किया। पतंजलि जापान फाउंडेशन के संस्थापक और प्रतिनिधि निदेशक,आशुतोष सिंह, सुश्री युमी इशिदा (निदेशक, सेल्स एवं मार्केटिंग लीडर, पतंजलि जापान फाउंडेशन), यासुहिरो मात्सुओ (सीईओ, वेनीड इंक.), दीपिका सिंह (प्रबंध निदेशक, ई-स्पॉट वेब सॉल्यूशंस), और सेमपाल सिंह (निदेशक अंतर्राष्ट्रीय संबंध, वन वर्ल्ड अलायन्स, जापान) को जापान और उनके विशेष प्रोजेक्ट, अर्थात अग्निवीर जापान प्रोजेक्ट के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। आशुतोष के अनुसार, जो कि संस्थान (बैच 2006) के पूर्व छात्र भी हैं, ‘अग्निवीर’ का लक्ष्य भारतीयों को कार्यबल प्रदान करके जापान के साथ जोड़ना है। सत्र में लगभग 650 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।
सत्र की शुरूआत डॉ. प्रीति चिटकारा, प्रमुख पीआर और अंतर्राष्ट्रीय संबंध सहित सभी डीन और एचओडी की उपस्थिति में, आॅक्सी प्लांट के साथ मेहमानों का स्वागत करके की गई। इसके बाद डॉ. चिटकारा का संबोधन हुआ, जिन्होंने आज की प्रतिस्पर्धा वाली दुनिया में विदेशी भाषाओं को सीखने की आवश्यकता और महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, आज हम एक सामाजिक दुनिया में रहते हैं और मौजूदा चलन के साथ जुड़ने का सबसे आसान तरीका नए लोगों से जुड़ना और नई यादें बनाना है। दूसरी या तीसरी भाषा सीखने से बेहतर क्या हो सकता है? भाषा आपको सांस्कृतिक सीमाओं से परे समान विचारधारा वाले कई लोगों से जुड़ने की सुविधा देती है। यदि आप अपनी बी.टेक, बी.फार्मा या किसी अन्य डिग्री को भाषा विशेषज्ञता के साथ जोड़ते हैं, तो आप अपने जीवन को बहतर बना सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पिछले 6 वर्षों से, हमारा विभाग जर्मन और जापानी भाषा में भाषा प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है और जल्द ही अन्य भाषाओं में ट्रेनिंग प्रदान करेगा।
आशुतोष सिंह (मुख्य सेवा अधिकारी, पतंजलि जापान फाउंडेशन) ने कहा कि भारतीयों के लिए जापानी भाषा सीखना बहुत आसान है, क्योंकि हिंदी और जापानी दोनों का व्याकरण भाग एक ही है। इसके अलावा, उन्होंने ‘अग्निवीर’ के बारे में जानकारी दी जो जापान में भारतीयों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाकर समाज की सेवा करने का उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। उन्होंने बताया, ह्लहम भारत में एक उम्मीदवार और जापान में एक नियोक्ता के बीच अंतर को पाटने का काम करते हैं। हम उम्मीदवारों को जापान या भारत में स्थित जापानी कंपनियों में बेहतर नौकरी की संभावनाओं को समझने में मदद करने के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान करते हैं। डॉ. अनिल अहलावत, निदेशक, डॉ. मनोज गोयल, संयुक्त निदेशक, डॉ. शैलेश तिवारी, अतिरिक्त निदेशक, डीन, एचओडी और प्रमुख पीआर और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के साथ सभी अतिथियों की एक बैठक हुई जिसमे जापान में छात्रों को पेशेवर यात्रा में मदद करने और संगठनों के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद साझेदारी बनाने के संभावित तरीकों के बारे में चर्चा की गई। नतीजतन, काईट ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस और पतंजलि जापान फाउंडेशन ने एक दूसरे के साथ ‘लेटर आॅफ इंटेंट’ पर हस्ताक्षर किए।
डॉ. मनोज गोयल ने कहा कि मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व छात्र, श्री आशुतोष सिंह, जापान की कार्य संस्कृति, कार्य अवसरों, भाषा और व्यवहार पर इतना ज्ञानवर्धक सत्र प्रस्तुत कर रहे हैं। आपके मार्गदर्शन से हमारे छात्र निश्चित रूप से प्रेरित होंगे और अपने जीवन में सही करियर मार्ग खोजेंगे।” इसके बाद राष्ट्रगान और एक समूह फोटोग्राफ का आयोजन किया गया। कुल मिलाकर, सभी संकाय सदस्यों और छात्र समन्वयकों के अटूट प्रयासों से सत्र सुचारू रूप से संपन्न हुआ। अंत में, डॉ. मधु गौतम, सहायक प्रमुख, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। डॉ. अभिनव जुनेजा, एचओडी सीएसआईटी, डॉ. आदेश पांडे, डीन आईटी, डॉ. के. नागराजन, प्रिंसिपल, केआईईटी स्कूल आॅफ फामेर्सी, डॉ. विभव सचान, डीन आर एंड डी, डॉ. रेखा कश्यप, एचओडी, सीएसई (एआई और एआईएमएल) , डॉ. विनीत शर्मा, विभागाध्यक्ष, सीएसई, सुश्री सिल्की खरालिया, प्रोफेसर सीएसआईटी, सुश्री भावना, प्रोफेसर सीएसई (एआईएमएल), सुश्री शिवानी, प्रोफेसर सीएस, श्री मयंक त्यागी, प्रोफेसर आईटी, एवं डॉ। प्रवीण दीक्षित, प्रो. केएसओपी ने अपनी सौम्य उपस्थिति से सत्र की शोभा बढ़ाई।