- दूध न आने की बात करती है महिलाओं की लापरवाही सिद्ध
गाजियाबाद। जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) कार्यालय में पानी नहीं केवल स्तनपान अभियान को धरातल पर उतारने के लिए बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओ) और सुपरवाइजर्स को ट्रेनिंग दी गई। जिला कार्यक्रम अधिकारी शशि वार्ष्णेय और यूनिसेफ की मंडल कोआॅर्डिनेटर गरिमा सिंह ने अभियान के बारे में विस्तार से बताया। डीपीओ ने सीडीपीओ और सुपरवाइजर्स को इस संबंध में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के निर्देश दिए। गरिमा सिंह ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बताएं कि धात्री महिलाओं को घर-घर जाकर जानकारी दें कि शिशु को छह माह तक पानी बिल्कुल भी नहीं पिलाना है, केवल स्तनपान कराना है।
उन्होंने बताया कि कई महिलाएं शिशु के लिए पर्याप्त दूध न आने की बात करती हैं, लेकिन ऐसा केवल उनकी लापरवाही से होता है। धात्री माता अपने खानपान का ध्यान रखते हुए बार-बार स्तनपान कराएं। रात में 12 से तीन बजे के बीच में दो से तीन बार स्तनपान कराएंगी तो दिन में दूध आता रहेगा। कुल मिलाकर धात्री जितना अधिक स्तनपान कराएंगी, उतना ज्यादा दूध आएगा। उन्होंने जोर देकर कहा – प्रसव के एक घंटे में शिशु को स्तनपान कराना अत्यंत जरूरी है। कई घरों में इस तरह की बातें सामने आती हैं कि बुआ आएंगी, उनकी मदद से ही शिशु को पहला स्तनपान कराया जाएगा, यह गलत धारणा है। इस धारणा के चक्कर में शिशु को समय से स्तनपान कराने में व्यवधान उत्पन्न होता है, जो जीवन पर्यंत उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। पहले घंटे में स्तनपान (पहला गाढ़ा और पीला दूध) शिशु के लिए कुदरती टीके के समान है, जो तमाम बीमारियों से लड़ने में शिशु की मदद करता है।
इसके साथ यूनिसेफ कोआॅर्डिनेटर ने ब्लॉक स्तर पर अभियान में शामिल विभागों से तालमेल स्थापित करने के लिए कहा। बता दें कि पानी नहीं केवल स्तनपान अभियान में आईसीडीएस के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और पंचायतीराज समेत पांच विभागों को सम्मलित किया गया है। उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों को मिले नए उपकरणों से शिशु का सही वजन करने का तरीका बताते हुए कहा कि वजन मशीन को एकदम सपाट धरातल पर रखकर ही इस्तेमाल करें। थोड़े भी ऊंचे नीचे धरातल पर रखी मशीन द्वारा वजन बताने में गड़बड़ी हो सकती है। इसके साथ ही गरिमा सिंह ने बताया – 28 दिन तक का शिशु कमजोर हो, या स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या हो तो पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) नहीं, बल्कि विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई ( एसएनसीयू) में भर्ती कराएं।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर अगले माह फिर होगी बच्चों की स्क्रीनिंग : शशि वार्ष्णेय
जिला कार्यक्रम अधिकारी शशि वार्ष्णेय ने मीटिंग में निर्देश दिए हैं कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह वर्ष तक के सभी बच्चों की फिर से स्क्रीनिंग की जाए। उन्होंने बताया मार्च माह के दौरान छह वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग के लिए वजन और लंबाई मापी गई थी। सभी केंद्रों पर वजन और लंबाई मापने के लिए आधुनिक उपकरण हैं। इन उपकरणों की मदद से की गई स्क्रीनिंग ज्यादा सटीक होगी और सैम-मैम बच्चों का चिन्हांकन करने में आसानी होगी। उन्होंने सभी सीडीपीओ और सुपरवाइजर्स को निर्देश दिए हैं कि लक्षित आयु वर्ग का एक भी बच्चा स्क्रीनिंग से छूटने न पाए। उन्होंने स्क्रीनिंग का डाटा पोषण ट्रैकर एप पर अपलोड करने के निर्देश देते हुए कहा कि शुरूआत में पोषण ट्रैकर एप पर आ रही दिक्कतों को दूर कर दिया गया है। अब आसानी से एप पर स्क्रीनिंग का डाटा अपलोड किया जा सकता है।