- नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को दी जाएगी विटामिन ए की खुराक
- आईसीडीएस विभाग के सहयोग से पिलाया जाएगा विटामिन ए का सिरप
हापुड़। बच्चों को विटामिन-ए की कमी से होने वाले दुष्प्रभाव से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग तीन अगस्त से बाल स्वास्थ्य पोषण माह का आयोजन करेगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील त्यागी ने बताया राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बाल स्वास्थ्य पोषण माह के दौरान नौ माह से पांच वर्ष तक के सभी बच्चों को विटामिन-ए की खुराक दी जाएगी। यह खुराक सिरप के रूप में होगी। अभियान में समेकित बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग (आईसीडीएस) का सहयोग लिया जाएगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक से मिले निदेर्शों के क्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) को पत्र लिखा गया है। शासन से पोषण माह के तहत कुपोषित बच्चों की स्क्रीनिंग के भी निर्देश दिए हैं। आईसीडीएस कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर स्वास्थ्य विभाग से चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराएगा।
सीएमओ डा. सुनील त्यागी ने बताया कि विटामिन-ए, आंखों की रोशनी, शरीर के विकास और मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जरूरी पोषक तत्व है। भोजन से आयरन का अवशोषण करने के लिए भी विटामिन-ए की जरूरत होती है। यानि विटामिन-ए की कमी से जहां बच्चे अंधेपन का शिकार हो सकते हैं, वहीं ऐसे बच्चों को कोई भी संक्रामक रोग आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है। विटामिन-ए की कमी होने पर बच्चे के शरीर में आयरन की कमी होना भी स्वभाविक है। यानि विटामिन-ए की कमी एनीमिया का कारण भी बन सकती है। उन्होंने बताया- बच्चों की अच्छी सेहत के लिए विटामिन-ए की महत्ता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग हर वर्ष दो बार नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन-ए की खुराक पिलाता है। सीएमओ ने बताया विटामिन-ए की खुराक पिलाने के लिए जल्द ही आशा और आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने बताया नौ माह से एक वर्ष तक के बच्चों को विटामिन-ए की खुराक एक एमएल और एक से पांच वर्ष तक के बच्चों को दो एमएल दी जाती है।
विटामिन-ए की कमी के लक्षण
विटामिन-ए की कमी से नजर कमजोर होने लगती हैं। आंखें सूखी रहने लगती हैं और आंसू बनना बंद हो जाते हैं। त्वचा भी शुष्क रहने लगती है। इसके अलावा आंखों में जलन और आंखों के आसपास सूजन आना भी विटामिन-ए की कमी का लक्षण हो सकता है। थकान, होंठ फटना, मुंह में दाने निकलना और घाव देर से भरना भी विटामिन-ए की कमी के कारण हो सकता है। मां का दूध न पीने वाले बच्चों में विटामिन-एक की कमी का खतरा ज्यादा होता है।
कैसे करें बचाव
विटामिन-ए की कमी से बचाव के लिए गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियों, गहरे रंग के फलों जैसे संतरा, पपीता, गाजर कद्दू, अतिरिक्त विटामिन-ए वाला दूध, अंडे की जर्दी, ब्रोकली और शकरकंद आदि को भोजन में शामिल करें। मांस, मछली और अंडे का सेवन विटामिन-ए की कमी नहीं होने देता।
बाल स्वास्थ्य पोषण माह का उद्देश्य
सीएमओ ने बताया कि बाल स्वास्थ्य पोषण माह का उद्देश्य नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ह्लएह्व की कवरेज बढ़ाना है। सभी कुपोषित बच्चों का पुन: वजन, पहचान, प्रबंधन व संदर्भन करना है। नियमित टीकाकरण (आरआई) के दौरान लक्षित बच्चों के साथ ही बीच में टीकाकरण छोड़ने वाले बच्चों का शत-प्रतिशत प्रतिरक्षण सुनिश्चित करना है। इसके अलावा बाल रोगों की रोकथाम के साथ स्तनपान व ऊपरी आहार को बढ़ावा देते हुए कुपो?षण से बचाव करना है। आयोडीन युक्त नमक के प्रयोग को बढ़ावा देना है।
1.35 लाख बच्चे पिएंगे खुराक
सीएमओ ने बताया जिले में नौ माह से पांच वर्ष तक की आयु के 1.35 लाख बच्चे हैं। इन सभी को बाल स्वास्थ्य पोषण माह के तहत विटामिन-ए की खुराक पिलाई जाएगी। नौ से 12 माह तक के जनपद में मात्र 8254 बच्चे हैं, इन्हें विटामिन-ए की एक एमएल खुराक दी जाएगी। एक से पांच वर्ष तक के बच्चों की खुराक दो एमएल होगी।