- पोषण प्रबंधन के लिए किया जा रहा वजन सप्ताह का आयोजन
- एक जुलाई से दो अक्टूबर तक चलेगा पोषण संवर्द्धन की ओर एक कदम-संभव अभियान
हापुड़। जिलाधिकारी अनुज सिंह और मुख्य विकास अधिकारी उदय सिंह के निर्देशन में जनपद में वजन सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। 24 जून तक आंगनबाड़ी केंद्रों पर चलने वाले वजन सप्ताह में कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा अल्प वजन और अतिकुपोषित- कुपोषित (सैम-मैम) बच्चों का चिन्हांकन किया जा रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) ज्ञान प्रकाश तिवारी ने बताया इस सप्ताह के दौरान शून्य से पांच वर्ष तक के 95 हजार बच्चों का वजन और लंबाई के आधार पर सैम-मैम बच्चों की पहचान की जाएगी। एक जुलाई से विभाग पोषण संवर्द्धन की ओर एक कदम-संभव अभियान चलाएगा, जो दो अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर संपन्न होगा। डीपीओ शुक्रवार को स्वयं इमटोरी, सादिकपुर और नवादा गांव में आंगनबाड़ी केंद्रो पर चल रहे वजन सप्ताह का जायजा लेने पहुंचे। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया वजन सप्ताह के दौरान वजन व लम्बाई, ऊंचाई मापते हुए सभी जानकारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा पोषण श्रेणी (अल्प वजन-आयु के अनुसार वजन, गंभीर अल्प वजन- वजन के अनुसार ऊंचाई, लम्बाई) के अनुसार एकत्रित की जा रही है। पोषण स्तर में सुधार करने के लिए कुपोषण की सही समय से पहचान के उद्देश्य से शासन के निर्देश पर यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कुपोषण से ग्रसित बच्चों में बाल्यावस्था की बीमारियां एवं उनसे होने वाली मृत्यु का खतरा अधिक बढ़ जाता है। कुपोषण की सबसे गंभीर श्रेणी में सैम – मैम, गंभीर अल्प वजन के बच्चे आते हैं। इसके अतिरिक्त वजन सप्ताह के दौरान दिव्यांग बच्चों को भी चिन्हित किया जा रहा है। यदि किसी बच्चे का वजन उसकी आयु के हिसाब से मानक से कम होता है तो उसके स्वास्थ्य का परीक्षण कराया जाता है और चिकित्सक के पास भेजकर उपचार कराया जाता है। बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति ज्यादा खराब होने पर उन्हें जिला मुख्यालय पर बने पोषण पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) में भर्ती कराया जाता है। पोषण संवर्धन की ओर एक कदम संभव अभियान के अंतर्गत वजन सप्ताह में चिन्हित किए गये सैम, मैम, गंभीर अल्प वजन बच्चों के लिए सघन सामुदायिक गतिविधियां (जैसे साप्ताहिक गृह भ्रमण, स्वास्थ्य जांच, चिकित्सीय उपचार, पोषण पुनर्वास केन्द्र, चिकित्सा इकाई में संदर्भन) आयोजित की जाएंगी। तीन माह के अभियान का मुख्य उद्देश्य सैम, मैम, गंभीर अल्प वजन वाले बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार लाना है। 20-25 सितम्बर के मध्य दोबारा वजन सप्ताह का आयोजन करते हुए प्रगति का निर्धारण किया जाएगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कुपोषण की रोकथाम एक समग्र रणनीति से ही संभव है, इसलिए पोषण प्रोत्साहन की अन्य थीम पर भी तीन माह के इस अभियान के दौरान जनजागरूकता संबंधी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। जुलाई माह में मातृ पोषण, अगस्त माह में जीवन के पहले 1000 दिन, सितम्बर में सैम,मैम का उपचार (पोषण माह के साथ-साथ) किया जाएगा। उन्होंने बताया अभियान की समाप्ति पर पोषण की श्रेणी में आये हुए बदलाव का आंकलन करते हुए तीन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, तीन मुख्य सेविका तथा तीन बाल विकास परियोजना अधिकारियों को पुरस्कृत किया जाएगा।