- अखिल भारतीय साहित्य परिषद और अमित्र फाउंडेशन ने मंत्रियों व महापौर को सौंपे पत्र
गाजियाबाद। विश्वविख्यात महाकवि कीर्तिशेष डॉ. कुँअर बेचैन के नाम से शहर के एक चौराहे और मार्ग का नामकरण करने की मांग केंद्र व प्रदेश सरकार के अलावा स्थानीय नगर निगम से की गई है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद गाजियाबाद इकाई और अमित्र फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने इस संबंध में तीन पत्र केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह, उत्तर प्रदेश में मंत्री अतुल गर्ग और नगर निगम की महापौर आशा शर्मा को सौंपे हैं। अतुल गर्ग ने डॉ. कुँअर बेचैन के नाम से चौराहे और मार्ग का नामकरण करवाने के अलावा चौराहे पर डॉ. कुँअर बेचैन की एक पुस्तक की प्रतिमा लगवाने के आश्वासन दिया है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मेरठ प्रान्त के महासचिव व कवि डॉ. चेतन आनंद और अमित्र फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद गाजियाबाद के अध्यक्ष बीएल बत्रा ने ये पत्र सौंपे हैं। पत्र में उन्होंने बताया कि विश्वविख्यात महाकवि डॉ. कुँअर बेचैन ने अपनी कविताओं के माध्यम से पूरी दुनिया में साहित्यिक-चेतना जगाकर अपने भारतवर्ष का नाम रोशन किया है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रहते हुए उन्होंने अपने शहर की यश पताका भी चहुंओर फहराई है। डॉ. बेचैन ने अपने जीवनकाल में हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में अपनी यशस्वी लेखनी चलाकर कुल 35 पुस्तकों को आम जनमानस तक पहुँचाया। कुल 25 शोधार्थियों को उन्होंने विद्या वाचस्पति की उपाधि प्रदान कराई। जबकि उनके रचना संसार पर 22 विद्यार्थियों ने शोध कार्य किया है। दुनिया भर के अनगिनत सम्मान उन्हें प्रदान कर कितनी ही सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं स्वयं को गौरवान्वित कर चुकी हैं। डॉ. बेचैन ने अनेक बार राष्ट्रपति भवन में काव्य पाठ करने का गौरव हासिल किया। 26 देशों की साहित्यिक यात्राएँ कर उन्होंने हिंदी साहित्य के प्रति लोगों में कविता की नई अलख जगाई। डॉ. आनंद और श्री बत्रा ने बताया कि डॉ. कुँअर बेचैन को कोरोना के क्रूर पंजों ने असमय ही 29 अप्रैल 2021 को हमसे छीन लिया। उनके निधन से पूरे विश्व के लाखों-करोड़ों साहित्य-प्रेमी गहन निराशा के अंधकार में हैं। ऐसी महान शख़्सियत के लिए हम चाहकर भी कुछ नहीं कर पाए। उनके महनीय कार्यों और साहित्यिक साधना को देखते हुए सब साहित्यकारों का मन है कि उनकी स्मृतियों को जीवित रखने के लिए शहर के एक चौराहे और मुख्य मार्ग का नाम डॉ. कुँअर बेचैन के नाम से रखा जाए। उनके आवास द्वितीय एफ-51, नेहरू नगर के सामने वाले पार्क में उनकी एक आदमकद मूर्ति सरकार की ओर से लगवाई जाए। उनके आवास तक आने वाले एक मार्ग का नामकरण उनके नाम से किया जाए। ताकि नई पीढ़ी उनके नाम और उनके कार्यों से सतत प्रेरणा लेती रहे। यह हमारा कर्तव्य भी बनता है कि जिस महाकवि ने गाजियाबाद को साहित्यिक रूप से विश्वपटल पर उजागर किया, उनकी स्मृति में गाजियाबाद में भी उनके नाम को युगों-युगों तक चिर-स्मरणीय रखा जाए।