पत्रकारों को आयुष्मान योजना का लाभ देने के लिए भेजा गया प्रधानमंत्री को पत्र
नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी का दौर चल रहा है। ऐसे मे हमारे पत्रकार साथी भी इससे अछूते नहीं है। अब तक हजारों पत्रकार साथी इसकी चपेट में आ चुके हंै और सैकड़ो पत्रकार साथी अब तक अपनी जान भी गंवा चुके हैं। जर्नलिस्ट काउंसिल आॅफ इंडिया ने केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों से भी पत्रकारों को कोरोना वारियर्स और उनको प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगाने का अनुरोध किया था जिसे कुछ राज्य सरकारों ने माना भी लेकिन सरकारें इसे गंभीरता से नहीं ले रही हंै।
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि हालांकि पत्रकारों को कोरोना वारियर्स का दर्जा और पत्रकारों के वैक्सीनेशन की कुछ राज्य सरकारों ने घोषणा की है जिसमें पंजाब ,हरियाणा ,उड़ीसा, पश्चिम बंगाल,राजस्थान,मध्यप्रदेश,बिहार,झारखंड और उत्तर प्रदेश शामिल है लेकिन हकीकत में यह अभी घोषणाएं ही हैं और जमीनी स्तर पर यह कैसे लागू होगी इसको लेकर कोई भी रूपरेखा अभी तक सामने नहीं आई है। संगठन के अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा जो भी पत्रकारों के लिए घोषणाएं की जाती हैं उसमें केवल मान्यता प्राप्त पत्रकारों को ही शामिल किया जाता है क्या श्रमजीवी पत्रकार, ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े पत्रकार, डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकार सरकारों की नजर में पत्रकार नहीं हैं। जर्नलिस्ट काउंसिल आॅफ इंडिया सभी राज्य सरकारों से आग्रह करती है कि वह सभी पत्रकारों को एकसमान रूप से देंखे। सभी पत्रकार अपने पत्रकारिता धर्म के कर्तव्य का पालन करते हैं और महामारी के इस दौर में भी अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहें है। वर्तमान समय में जब कोरोना महामारी अपने चरम पर है इन हालातों में भी सामाजिक सरोकारों तथा सार्वजनिक हित से जुड़कर पत्रकारिता को सार्थक बनाते हंै हमारे पत्रकार साथी। सामाजिक सरोकारों को व्यवस्थाओं की दहलीज तक पहुँचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियों व योजनाओं को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वाह करना ही सार्थक पत्रकारिता है। इसी के साथ जर्नलिस्ट काउंसिल आॅफ इंडिया ने सभी पत्रकारों को आयुष्मान योजना का लाभ देने के लिए पुन: प्रधानमंत्री से आग्रह किया है। इस संदर्भ में एक पत्र भी प्रधानमंत्री को संगठन की ओर से भेजा गया है। हमारे देश में पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। पत्रकारिता को लोकतंत्र में यह महत्त्वपूर्ण स्थान स्वयं हासिल नहीं हुआ है बल्कि सामाजिक सरोकारों के प्रति पत्रकारिता के दायित्वों के महत्त्व को देखते हुए ही इसे चौथे स्तंभ का दर्जा दिया गया है। लेकिन वर्तमान समय में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के सिपाहियों को ही नजरअंदाज किया जा रहा है।