राज्यस्लाइडर

उत्तर प्रदेश के सपनों को साकार करने के लिए योगी सरकार ने बजट के दायरे को बढ़ाया

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट वित्तीय वर्ष 2015-16 की तुलना में दोगुने से अधिक है। गत 07 वर्षों में प्रारम्भ हुए प्रयासों का परिणाम है कि राज्य सरकार बजट के दायरे पर दोगुना करने में सफल हुई। प्रदेश की जीडीपी में 2015-16 की तुलना में दोगुने से अधिक वृद्धि हुई है। प्रति व्यक्ति आय में भी दोगुने से अधिक वृद्धि हुई है। यह दिखाता है कि उत्तर प्रदेश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसी सही दिशा को एक नई गति देने के लिए सृजित नई मदों हेतु इस सप्लीमेण्ट्री बजट की आवश्यकता पड़ी। इसके लिए 12,209 करोड़ 93 लाख रुपये का यह सप्लीमेण्ट्री बजट मानसून सत्र में लाना पड़ा।
मुख्यमंत्री ने गत दिवस विधान सभा में अनुपूरक बजट पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश में चार ही जातियां-गरीब, किसान, महिला और युवा हैं। केन्द्र और राज्य सरकार ने इन्हीं पर केन्द्रित करते हुए अपना बजट प्रस्तुत किया है। इनके जीवन में परिवर्तन लाने के लिए सरकार के स्तर पर प्रयास प्रारम्भ हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस मानसून सत्र में वर्ष 2024-25 का पहला अनुपूरक बजट आया है। सदन में चर्चा हो रही थी कि सप्लीमेंट्री डिमांड की क्या आवश्यकता थी। हमने अटल जी की इन पंक्तियों से सदैव प्रेरणा प्राप्त की है कि आदमी को चाहिए कि वह जूझे, परिस्थितियों से लड़े, एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े। उत्तर प्रदेश के सपनों को साकार करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा समय-समय पर प्रयास प्रारम्भ किए गए हैं। सपनों को साकार रूप प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार ने अपने बजट के दायरे को बढ़ाया है। फरवरी माह में ही मूल बजट पारित करके वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ में ही बजट की कार्रवाई को आगे बढ़ाया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में यदि हम प्रदेश की आवश्यकता के अनुरूप इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं देते, गरीब कल्याणकारी योजनाओं को आगे नहीं बढ़ाते, बिना भेदभाव के अन्नदाता किसानों, महिलाओं, नौजवानों और समाज के विभिन्न तबकों, पिछड़ों के बारे में कार्ययोजना को आगे नहीं बढ़ाते, तो उत्तर प्रदेश के बजट के आयाम को बढ़ाने में सफल नहीं हो पाते। राज्य सरकार ने इन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया तथा बिना भेदभाव के शासन की योजनाओं का लाभ जरूरतमन्दों तक पहुंचाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि धनराशि कैपिटल एक्सपेंडिचर में भी खर्च हो, क्योंकि कैपिटल एक्सपेंडिचर इस बात का संकेत है कि धनराशि किसी स्थायी निर्माण में खर्च हो रही है। इससे रोजगार का सृजन होगा तथा विकास की गति तीव्र होगी। यह विकास की गति को तीव्र करने तथा उत्तर प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के प्रदेश सरकार के अभियान का हिस्सा है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 के मूल बजट का आकार 7 लाख 36 हजार 437 करोड़ 71 लाख रुपये था। मांग के अनुरूप और प्रदेश में इस दौरान हुए कार्य और गतिविधियों के कारण अब तक विभिन्न विभागों द्वारा औसतन 44 फीसदी से अधिक बजट रिलीज किया जा चुका है। इसमें से 20 प्रतिशत से अधिक धनराशि खर्च भी हो चुकी है। इस अनुपूरक बजट के साथ ही, उत्तर प्रदेश का वर्ष 2024-25 का बजट लगभग साढ़े 7 लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंचता है।
जब उत्तर प्रदेश की आबादी की तुलना देश के अन्य राज्यों से करते हैं, तो यह माना जा सकता है कि उत्तर प्रदेश, देश की अग्रणी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता रखता है। वर्ष 2017 से पूर्व उत्तर प्रदेश देश की छठी-सातवीं अर्थव्यवस्था था। राज्य की जनसंख्या देश में सर्वाधिक है। उत्तर प्रदेश के बारे में कैसा परसेप्शन था, यह किसी से छुपा हुआ नहीं है। जनप्रतिनिधिगण बाहर जाकर वास्तविक स्थिति अनुभव करते थे। प्रदेश के नौजवानों व नागरिकों के सामने पहचान का संकट होता था। प्रदेश के नौजवानों व नागरिकों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। गत 7 वर्षों में यह एक सबसे बड़ा परिवर्तन देखने को मिलता है। राज्य ने इस दौरान अपनी अर्थव्यवस्था को समृद्ध किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश, देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अगले तीन व पांच वर्षों के लिए तैयार किए गए रोड मैप के अनुसार कार्य करने के परिणाम सामने आए हैं। बजट के आकार में दोगुनी वृद्धि हुई है। बजट की बढ़ी धनराशि लोक कल्याण के कार्यक्रमों में खर्च हुई है। गांव, गरीब, किसान, नौजवान, महिलाएं तथा अंतिम पायदान पर बैठे हुए व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने का कार्य हुआ है। इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेण्ट के बेहतरीन कार्य हुए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास आदि पर किए गए कार्यों का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था बढ़ी है तथा प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोत्तरी हुई है। प्रदेश में नए रोजगार सृजित हुए हैं। इसके बहुत सारे उदाहरण हैं। तमिलनाडु के त्रिशूर में उत्तर प्रदेश के लगभग 2 लाख कार्मिक काम करते थे। लेकिन आज उसमें से बड़ी संख्या वापस प्रदेश में आयी है। क्योंकि प्रदेश के अन्दर उन्हें रोजगार मिलना प्रारम्भ हुआ है। वह प्रदेश में आकर राज्य के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button