गाजियाबाद। स्वास्थ्य 4.0 को डिकोड करने और स्वास्थ्य सेवा में डिजिटल परिवर्तन के मार्ग में चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से होटल हयात, नई दिल्ली में एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, कौशाम्बी की निदेशक उपासना अरोड़ा ने इस तीसरे हेल्थटेक इनोवेशन कॉन्क्लेव में अन्य स्वास्थ्य सेवा दिग्गजों के बीच प्रख्यात पैनलिस्ट के रूप में बात की। उपासना अरोड़ा ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा छेत्र के वरिष्ठ प्रबंधकों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम स्वास्थ्य सेवा में तकनीकी व इलेक्ट्रॉनिक विकास के बारे में बात करना चाहते हैं तो हमें ग्रामीण स्तर या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर से शुरू होने वाले आम लोगों की बहुत ही बुनियादी स्वास्थ्य आवश्यकताओं को संबोधित करना शुरू करना होगा। उन्होंने बुनियादी स्तर पर एक बहुत मजबूत प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया जो नवीनतम तकनीक और सर्वोत्तम स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों से लैस हो। कोविड -19 स्थिति का उदाहरण लेते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण या अर्ध शहरी स्तर पर कई कोविड -19 आरटीपीसीआर परीक्षण प्रयोगशालाएं उपलब्ध नहीं थीं, इसलिए शहरी बड़े अस्पतालों पर बड़ा बोझ पड़ रहा था और साथ ही रोगियों को भी लंबी दूरी की यात्रा करने की वजह से नुकसान उठाना पड़ा।
हेल्थकेयर उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य राष्ट्र की संपत्ति है, प्रशिक्षित और कुशल नर्स, पैरामेडिकल और हेल्थकेयर कर्मी समय की जरूरत है और सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और ऐसी अनुकूल नीतियां बनानी चाहिए कि अध्ययन स्तर पर ही लोग स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में काम करने के लिए आकर्षित हों। इसके लिए स्वास्थ्य शिक्षा की फीस में छूट या किसी अन्य विशेष कार्यक्रम में प्रोत्साहन या सब्सिडी के रूप में हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि देशभर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के रिक्त पदों को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक डॉक्टरों की आवश्यकता है। भारत में टीकाकरण अभियान की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीयों का दिल बहुत विशाल है और अगर उन्हें उचित मार्गदर्शन, प्रशिक्षण एवं प्रेरित किये जाए तो हम उन्हें स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र के लिए काम करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। उदहारण के तौर पर अन्य देशों के विपरीत भारतीय टीकाकरण अभियान का स्वागत कर रहे हैं और हमने 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकारी और निजी हेल्थकेयर प्रदाता हाथ मिलाकर पीपीपी मॉडल पर काम करते हैं तो वे चमत्कार कर सकते हैं। उपासना अरोड़ा ने दोहराया कि इस कोविड समय में हम डॉक्टरों द्वारा अधिक से अधिक टेलीमेडिसिन सेवाओं या वीडियो परामर्श को स्वीकार करने वाले लोगों के नजरिये का लाभ उठा सकते हैं और हम इसे जमीनी स्तर पर उपलब्ध करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय डॉक्टर दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली डॉक्टर हैं और उन्होंने विदेशों में विभिन्न देशों में अपनी अनूठी जगह बनाई है। भारत की भी ऐसी नीति होनी चाहिए कि हम इस ब्रेन ड्रेन को रोकें और हमें ऐसी योजना बनानी चाहिए कि ये डॉक्टर हमारे देश में सबसे अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर सकें जबकि उनकी जरूरतों का अच्छी तरह से ध्यान रखा जाए।